आज बहुत से लोग कई तरह की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, जिसमें अब कई तरह की नई तकनीक और आविष्कार मददगार साबित हो रहे हैं। अब गंभीर से गंभीर बीमारियों का भी इलाज संभव हो सका है जिसका श्रेय मैरो ट्रांसप्लांट जैसी तकनीक को दिया जा सकता है। आइए जानते हैं कि इंदौर के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के डॉ. सुनित लोकवानी, मेडिकल ऑन्कोलॉजी एवं हीमेटोलॉजी वर्ल्ड मैरो डोनर डे को लेकर क्या कह रहे हैं-
विश्व भर में मैरो-डे मनाया जा रहा है। मैरो डोनर वे लोग हैं जो मैरो डोनेट कर कई लोगों को नया जीवनदान दे रहे हैं। मैरो ट्रांसप्लांट्स जैसी तकनीकें कई तरह की कैंसर की बीमारी और ब्लड संबंधित बीमारियों को ठीक करने में मदद कर रही हैं।
बोन मैरो मुख्य हड्डियों के बीच में एक मुलायम व स्पंजी टिशू है जिसमें रक्त बनाने वाली अपरिपक्व कोशिकाएं होती हैं जिन्हें स्टेम सेल्स कहते हैं। स्टेम सेल्स दरअसल लाल रक्त कोशिकाओं (शरीर में सभी हिस्सों तक ऑक्सीजन पहुंचाने वाली), सफेद कोशिकाएं (संक्रमण से लड़ने में मददगार) और प्लेटलेट्स( ब्लड क्लॉटिंग में मददगार) आदि सभी में विकसित होती हैं।
विश्व भर में सितंबर के महीने में मैरो डोनर डे मनाया जाता है। हर साल लगभग 50 से ज्यादा देशों द्वारा इस दिन को में मनाया जाता है। इसकी जागरूकता के लिए कई देशों में कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं। सबसे पहले साल 2015 में फ्रांस, स्पेन जैसे देशों ने इस दिवस को मनाना शुरू किया था।
इस दिन को मनाए जाने के पीछे का कारण वैश्विक स्तर पर उन सभी डोनर्स को धन्यवाद देना है, जिन्होंने जरूरतमंद मरीजों की मदद करने के साथ ही सभी प्रकार के सहयोग देने में साथ निभाया। डॉक्टर का कहना है कि हमें आगे रहकर इन गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए मैरो डोनेट करना चाहिए, ताकि वे भी हमारी ही तरह एक बेहतर जीवन जी सकें।