World Epilepsy Day: मिर्गी है तो घबराएं नहीं, एम्स भोपाल में माइनर सर्जरी से बेहतर उपचार उपलब्ध
एम्स में मिनिमल इनवेसिव सर्जरी के जरिए मिर्गी के मरीज का प्रभावी उपचार किया जा रहा है। सबसे पहले आधुनिक पद्धति से मरीज के मस्तिष्क की जांच के जरिए यह देखा जाता है कि किस हिस्से में दिक्कत है। उसके बाद विशेषज्ञों द्वारा सर्जरी के जरिए उसका उपचार किया जाता है।
By mukesh vishwakarma
Publish Date: Sun, 17 Nov 2024 11:02:20 AM (IST)
Updated Date: Sun, 17 Nov 2024 12:42:00 PM (IST)
मिर्गी मरीज (प्रतीकात्मक चित्र) HighLights
- प्रदेश में मिर्गी के मरीजों की संख्या लगभग 15 लाख।
- मस्तिष्क में छोटा-सा छेद कर सर्जरी से होता उपचार।
- एम्स में प्रदेशभर से मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं।
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। समाज में लोग अक्सर मिर्गी के मरीजों से दूरी बनाकर रखते हैं। कई बार उन्हें हीन नजरिये से देखते हैं, लेकिन यह अन्य बीमारियों की तरह ही मिर्गी जैसी व्याधि भी उपचार योग्य है। यह किसी एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती है। मिर्गी के मरीजों के लिए एम्स भोपाल में सर्जरी की सहायता से बेहतर उपचार की सुविधा उपलब्ध है।
एम्स में आयुष्मान योजना के हितग्राहियों का उपचार तो मुफ्त में हो जाता है। यहां के विशेषज्ञ डॉक्टर मस्तिष्क में छोटा सा छेद कर (मिनिमली इनवेसिव सर्जरी) उपचार कर रहे हैं। इससे मिर्गी के दौरे दूर किए जाते हैं। एम्स भोपाल के न्यूरो सर्जन डॉ. आदेश श्रीवास्तव ने बताया कि मिर्गी अगर दवा से ठीक नहीं हो रही है तो सर्जरी ही इसका एकमात्र उपाय है। मिर्गी के उपचार के लिए मिनिमली इनवेसिव सर्जरी देश के सभी एम्स में की जा रही है। बता दें, प्रदेश में लगभग 15 लाख मिर्गी के मरीज हैं। राजधानी में स्थित एम्स में प्रदेशभर से मरीज इलाज कराने आते हैं।
ऐसे होता है उपचार
सबसे पहले वीडियो ईईजी (इलेक्ट्रोइनसिफेलोग्राम) से पता लगाया जाता है कि मरीज में मिर्गी के झटके दिमाग के किस हिस्से से निकल रहे हैं। इसके बाद एमआरआई स्कैन से विस्तृत अध्ययन किया जाता है। मस्तिष्क के संबंधित हिस्से को सर्जरी के माध्यम से ठीक किया जाता है। मस्तिष्क के दो हिस्से दायां और बायां होते हैं। किसी एक में भी कोशिकाओं में शॉर्ट सर्किट होने से मिर्गी की समस्या होने लगती है। इस नई तकनीक से दो से तीन घंटे में पूरी सर्जरी हो जाती है। मरीज दो से तीन दिन में घर भी जा सकता है। इस रोग के निदान के लिए वीडियो ईईजी, सीटी स्कैन, एमआरआई और पेट (पीईटी) स्कैन जैसी जांचें होती हैं। सभी एम्स भोपाल में उपलब्ध हैं।
मरीजों के प्रति करुणा जरूरी
डॉ. आदेश श्रीवास्तव ने बताया कि मिर्गी के सभी मरीजों की सर्जरी नहीं की जाती है। कुछ मरीजों को दवा से भी ठीक किया जाता है। मरीजों को दो से तीन माह तक भर्ती करना पड़ता है। मिर्गी के मरीजों के प्रति करुणा रखना जरूरी होता है। ऐसे मरीजों को सही उपचार दिलवाने में लोगों को मदद करनी चाहिए। मिर्गी का इलाज झाड़फूंक से नहीं होता है। वैज्ञानिक तौर पर यह कतई सही नहीं है। अंधविश्वास के चलते मरीजों को कई नुकसान भी हो जाते हैं।
मिर्गी के लक्षण
- मस्तिष्क का काम न्यूरॉन्स के सही तरह से सिग्नल देने पर निर्भर करता है। जब इस काम में बाधा उत्पन्न होने लगती है, तब मस्तिष्क के काम में परेशानी शुरू हो जाती है। इस कारण मिर्गी के मरीज को जब दौरा पड़ता है, तब उसका शरीर अकड़ जाता है। कुछ समय के लिए शरीर के विशेष अंग निष्क्रिय हो जाता है। इसके अलावा ये लक्षण भी दिखाई देते हैं।
- सिर और आंख की पुतलियों में लगातार मूवमेंट होने लगता है।
- हाथ, पैर और चेहरे की मांसपेशियों में अचानक खिंचाव उत्पन्न होने लगता है।
- मरीज या तो पूर्ण रूप से बेहोश हो जाता है या मूर्छित होता है।
- जीभ काटने और असंयम की प्रवृत्ति।
- पेट में गड़बड़ी।
- मिर्गी के दौरे के बाद मरीज उलझन में होता है। नींद से बोझिल और थका हुआ महसूस करता है।
यह हैं कारण
- जन्म के समय मस्तिष्क में पूर्ण रूप से ऑक्सीजन का प्रवाह न होना।
- सिर पर किसी प्रकार की चोट लगना।
- ब्रेन ट्यूमर।
- न्यूरोलॉजिकल बीमारी जैसे अल्जाइमर।
- दिमागी बुखार और इन्सेफेलाइटिस के संक्रमण से मस्तिष्क पर पड़ने वाला दुष्प्रभाव।
- ब्रेन स्ट्रोक होने पर मस्तिष्क की रक्त वाहिनियों को होने वाली क्षति।
- जेनेटिक स्थितियां
- कार्बन मोनोआक्साइड की विषाक्तता के कारण भी मिर्गी रोग होता है।
- ड्रग एडिक्शन और एंटी डिप्रेसेंट का ज्यादा उपयोग करने पर मस्तिष्क पर होने वाला प्रतिकूल प्रभाव।