हेल्थ डेस्क, इंदौर। बीते कुछ दिनों में अचानक से वायरल इन्फेक्शन, सर्दी-जुकाम और बुखार के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो गई है। इसके पीछे मुख्य कारण है कि मौसम में नमी के कमी और बढ़ती प्रदूषण के कारण लोगों को एलर्जी होने लगती है। इस दौरान दीपावली की साफ-सफाई या रंग रोगन के कारण वातावरण में धूल का स्तर बढ़ जाता है और शरीर में इसका दुष्प्रभाव होने लगता है। शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होने पर वायरल इन्फेक्शन होने का भी खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम में अस्थमा के रोगियों को विशेष सावधानी बरतने के जरूर होती है। बदलते मौसम में खुद की केयर किस तरह से करना है, इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं डॉ. सुनील यादव।
मौसम में बदलाव के कारण वायरल बीमारियों का सबसे ज्यादा असर बच्चों में देखा जा सकता है। 10 में से 2 बच्चों का सर्दी, जुकाम या वायरल बुखार समस्या बढ़ने पर निमोनिया में भी बदल सकता है। ऐसे में जल्द लक्षण की पहचान कर बच्चों को डॉक्टर को दिखाना चाहिए। बच्चों को अच्छा पानी और पोषण देना चाहिए।
इस मौसम में ऐसे मरीज, जिन्हें एलर्जी, अस्थमा, हाई बीपी, कैंसर या डायबिटीज की समस्या हो या जिन्हें बचपन से ही फेफड़ों से संबंधित कोई बीमारी हो तो उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। पीक फॉर मॉनिटरिंग के जरिए समय-समय पर फेफड़ों की जांच करते रहना चाहिए। यदि वायरल इन्फेक्शन के कारण आपका अस्थमा बिगड़ रहा है तो तत्काल आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यदि खांसी के दौरान पीला बलगम आ रहा तो बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतना चाहिए। अस्थमा का अटैक आने पर कुछ स्टेरॉयड दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है।
आमतौर पर लोग सर्दी, खांसी की समस्या होने पर घर पर ही इलाज करते हैं, लेकिन यह समस्या ज्यादा लंबे समय तक बनी रहती है तो फेफड़ों में संक्रमण बढ़ सकता है। फेफड़ों में निमोनिया का संक्रमण होने पर कई बार मरीजों को अस्पताल में भी भर्ती करना पड़ सकता है।