जी हां! अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति या परिचित जिनमें सामान्य से अधिक उत्साह, असामान्य उल्लास, चिड़चिड़ापन, अति आत्मविश्वास आदि नजर आए तो उसे सामान्य न समझें, उन्हें तुरंत मनोवैज्ञानिक को दिखाएं या दिखाने की सलाह दें। क्योंकि यह सभी लक्षण हाइपोमेनिया नामक मनोवैज्ञानिक बीमारी के हैं।
क्या होता है हाइपोमेनिया
हाइपोमेनिया मन, मूड और व्यवहार की वो अवस्था है जिसे अधिक उत्साह, असामान्य उल्लास, चिड़चिड़ापन आदि के रूप में व्यक्त कर सकते हैं। हाइपोमेनिया मूड बदलने की वो दशा है जिसमें सामान्यत: व्यक्ति का मूड बदलता रहता है और इसमें व्यक्ति विशिष्ट कार्यों के लिए बेहद ऊर्जावान, बातूनी प्रवृत्ति का होना व आमतौर पर अति आत्मविश्वास से पूर्ण क्रियात्मक विचारों से भरपूर रहता हैं। हाइपोमेनिक व्यवहार वैसे उत्पादकता और उत्साह को उत्पन्न् करता है लेकिन यह अगर खतरनाक या अनुचित व्यवहार में संलग्न हो तो परेशानी का कारण बन सकता हैं।
हाइपोमेनिया के लक्षण की अगर हम बात करें तो इसका कोई एक लक्षण विशेष नहीं है, कई हो सकते हैं। दिए गए निम्न लक्षण यदि मरीज के स्वभाव में पहले से निहित नहीं हैं लेकिन बाद में विकसित होते हैं तो हाइपोमेनिया की आशंका हो सकती है। हाइपोमेनिया के लक्षणों में शामिल हैं-
हाइपोमेनिया के कारण
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जटिल होती हैं और आमतौर पर महसूस किया जाता है कि एक विशेष कारण के बजाय कारकों के संयोजन से होती हैं। संभावित कारणों में शामिल हैं
इनसे मिल सकती है मदद
हाइपोमेनिया एक बायोलॉजिकल बीमारी हैं। सामान्य तौर पर हेरेडेटरी या जेनेटिक कारणों से होती हैं। कई बार मादक पदार्थ के अत्यधिक उपयोग के कारण भी होती हैं। खासकर गांजे का नशा करने वालों में। हाइपोमेनिया का उपचार केवल मेडिसिन द्वारा ही किया जा सकता हैं। लेकिन समय पर उपचार नहीं किया गया तो हाइपोमेनिया का मेनिया में बदलने का खतरा रहता है, जोकि अधिक जटिल व अनियंत्रित होती हैं। हाइपोमेनिया के पहले एपिसोड में मरीज को कम से कम एक वर्ष तक दवाई लेनी पड़ती हैं। उचित उपचार न लेने पर फिर से होने की आशंका साथ भविष्य में डिप्रेशन होने का खतरा भी रहता है।
इसके उपचार में वर्किंग साइन बेहद फायदेमंद होते हैं जो उपचार के दौरान मरीज को सिखाए जाते हैं। हाइपोमेनिया के लक्षण बहुत सामान्य या आम होते हैं। जो किसी भी दूसरे व्यक्ति में पाए जा सकते हैं जैसे बातूनी होना, अति आत्मविश्वासी होना, चिड़चिड़ा आदि। लेकिन जब ये लक्षण व्यक्ति की सामाजिक-व्यावसायिक कुशलता को प्रभावित करें तो हाइपोमेनिया है।
- मनोचिकित्सक डॉ आशुतोष सिंह से लीना शर्मा की बातचीत पर आधारित