
Menopause Health Tips: मेनोपाज (रजोनिवृत्ति) हर महिला के जीवन का वो समय होता है, जब उनका मासिक धर्म आखिरी पढ़ाव पर होता है। इस समय महिलाओं की प्रजनन उम्र का भी अंत हो जाता है। प्रत्येक महिला का मेनोपाज का समय अलग होता है, देश में मेनोपाज की सामान्य उम्र 45 से 52 तक है।
प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. रजनी देवांगन ने कहा, मासिक धर्म बंद होने के तीन क्रम या चरण लेते है पहला, पेरिमेनोपाज, दूसरा-मेनोपाज और तीसरा पोस्ट मेनोपाज। मेनोपाज शुरू होने के तीन से पांच साल पहले महिला के शरीर में पेरिमेनोपाज की स्थिति बनती है, उसके बाद मासिक धर्म रुकते के चरण में प्रवेश होता है।
मेनोपाज बीमारी नहीं, एक सामान्य प्रक्रिया
मेनोपाज होना एक सामान्य प्रक्रिया है, इसे किसी बीमारी की तरह नहीं समझना चाहिए। लेकिन मेनोपाज के दौरान और बाद में महिलाओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है।
दुखद पक्ष यह है कि स्वयं महिलाएं भी अपने अंदर इस परिवर्तन को समझ नहीं पाती। इस दौरान शरीर में हार्मोन असंतुलित होने से मानसिक तनाव, वजह से वजन बढ़ना, बेचैनी, रात में अधिक पसीना आना, भावनात्मक परिवर्तन, हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी आदि समस्याएं आती है।
मेनोपाज के बाद इन लक्षणाें को न करें अनदेखा
ज्यादातर महिलाएं दिक्कतों को अनदेखा करती हैं। साथ ही परिवार भी इस तरह की समस्याएं नहीं समझ पाता है। ऐसे में महिलाओं को स्वास्थ्य को लेकर ध्यान देने की जरूरत है। महिलाएं जीवनशैली को नियमित करें, दैनिक दिनचर्या में योगा, व्यायाम के साथ-साथ संतुलित आहार, समय-समय पर कैल्शियम, विटामिन डी सप्लीमेंट आदि लें। स्वास्थ्य समस्याओं पर चिकित्सकीय सलाह जरूरी है।