जबलपुर से नईदुनिया के दीपंकर राय का लेख : स्वस्थ्य मौसम माना जाने वाला ठंड का समय कई बार हृदय की धड़कन असामान्य कर देता है। दरअसल, ठंड की चादर जैसे-जैसे फैलती है, नसों में सिकुड़न होती है। रक्तचाप का अनियंत्रित होता है और यह कई बार हृदयघात तक का कारण बनता है। स्वस्थ्य हृदय और फिट रहने के लिए कुछ सावधानियां और उपाय बताएं हैं।
जैसे-जैसे दिन छोटे होते जाते हैं, रातें ठंडी होती जाती है। नगर में ठंडे मौसम का प्रभाव देखा जा रहा है। भोर सर्द हो चुकी है। इस मौसम में शरीर और हृदय को स्वस्थ्य रखने के लिए दिन की शुरुआत हल्के व्यायाम से करें। सुबह उठकर सीधे भारी व्यायाम ना करें। सीधे सर्द हवा के संपर्क में आने से भी बचें।
बेहतर होगा कि जब तापमान कुछ कम हो जाएं तब वाकिंग के लिए घर से बाहर निकलें। हल्की धूप निकलने के साथ मौसम सामान्य होने पर पैदल चलना और व्यायाम करें। दिनचर्या में योग (प्राणायाम व शवासन) और ध्यान को सम्मलित करें। यह तनाव को कम करेगा। एकाग्रचित रहेंगे। यह रक्तचाप को संतुलित रखने में सहायक होगा। रक्तचाप के नियंत्रित रखने पर हृदय को राहत रहेगी।
रक्तचाप (बीपी) की समस्या के कई मरीज हैं। आयु बढ़ने के साथ आजकल लोगों में रक्तचाप की समस्या सामान्य है। रक्तचाप की समस्या से पीड़ित जो नियमित रुप से दवा का सेवन करते है, उन्हें अभी एक बार जांच कराना चाहिए। अपनी बीपी की डोज को रीसेट कराना चाहिए।
रक्तचाप पीड़ितों के लिए गर्मी और ठंड के मौसम, में दवा की अलग-अलग मात्रा की आवश्यकता होती है। अपने चिकित्सक से मिलकर उन्हें बीपी की दवा की डोज की जांच पर एक बार अवश्य परामर्श करना चाहिए। चिकित्सक के परामर्श पर कालेस्ट्राल की जांच भी कराना चाहिए।
कुछ लोग पानी कम मात्रा में पीने लगते है, यह स्वास्थ्य को गंभीर क्षति पहुंचा सकता है। रात की नींद के बाद, जब आप सुबह उठते हैं, तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसलिए सुबह उठकर एक ग्लास पानी पिएं, जो आपके मेटाबालिज्म को सक्रिय करता है, रक्त संचरण के प्रवाह को बेहतर बनाता है।
ठंड और सर्द हवा के प्रभाव में नसें सिकुड जाती हैं, जिससे अस्थायी रुप से रक्तचाप का स्तर उच्च हो जाता है। अनियंत्रित रक्तचाप हृदय को क्षति पहुंचाता है। सामान्य रूप से देखा जाता है कि ठंडे पानी में यदि हाथ डालते हैं तो त्वचा कुछ सिकुड़ जाती है। ऐसा ही सर्द मौसम में हृदय के साथ होता है, जिसकी नसें सिकुड़ती हैं।
हाल में ऐसे कई मामले देखे गए है जब व्यायाम या कामकाज की आपाधापी के दौरान संबंधित हृदयघात के शिकार हुए। यह खतरा ठंड में नसों के सिकुड़ने से और बढ़ जाता है। इसलिए ठंड के सीधे संपर्क में आने से बचाव के लिए अावश्यक उपाय करना चाहिए। विशेष रुप से बीपी सहित अन्य रोग से पीड़ित और अधिक आयु के व्यक्तियों को ठंडी हवा से बचना चाहिए।