एम्स में पहली बार लिवर कैंसर की जटिल सर्जरी, डायफ्राम तक फैले संक्रमित हिस्से को निकाल मरीज को दिया नया जीवन
सर्जरी एक युवा महिला रोगी पर की गई, जिसका लिवर कैंसर डायफ्राम तक फैला था। सर्जरी के बाद रोगी की स्थिति स्थिर है और वह चिकित्सीय निगरानी में हैं। राइट हेपेटेक्टोमी के जरिए मरीज का सफल उपचार किया गया।
By Ravindra Soni
Publish Date: Tue, 12 Nov 2024 11:35:10 AM (IST)
Updated Date: Tue, 12 Nov 2024 12:20:46 PM (IST)
भोपाल स्थित एम्स अस्पताल (प्रतीकात्मक चित्र) HighLights
- मरीज के लिवर का 70 फीसदी हिस्सा संक्रमित था।
- राइट हेपेटेक्टोमी सर्जरी के जरिए मरीज का उपचार।
- चार घंटे तक चली मरीज की जटिल सर्जरी प्रक्रिया।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। जिंदगी की आस छोड़ चुके मरीज को एम्स में राइट हेपेटेक्टोमी सर्जरी के जरिए नया जीवन मिल सका। मरीज में लिवर का कैंसर डायफ्राम (फेफड़ों के नीचे की मसल्स) तक फैल गया था। यही नहीं लिवर का 70 प्रतिशत हिस्सा भी संक्रमित था। यह पहली बार है जब एम्स में राइट हेपेटेक्टोमी सर्जरी की गई है। यह सर्जरी बेहद जटिल होती है। इसमें मरीज के लिवर को बचाने के साथ फेफड़ों और दिल को सुरक्षित रखना भी एक चुनौती रहती है।
एम्स में ऑन्कोलाजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनय कुमार और वैस्कुलर सर्जन डॉ. योगेश निवारिया ने मरीज की सफल सर्जरी की, जो चार घंटे तक चली। डॉ. कुमार ने बताया कि सर्जरी को सफल बनाने के लिए मरीज में 30 प्रतिशत लिवर को छोड़ना बेहद जरूरी होता है। इस मरीज में सिर्फ इतना ही हिस्सा संक्रमण से बचा हुआ था। ऐसे में बेहद सावधानी के लिवर के संक्रमित 70 प्रतिशत हिस्से को निकाला गया। इसके अलावा डायफ्राम का संक्रमित हिस्सा भी हटाया गया।
राइट हेपेटेक्टोमी एक अत्यधिक जटिल तकनीकी प्रक्रिया है। जिसके लिए सटीकता, अनुभव और उन्नत सर्जिकल तकनीकों की आवश्यकता होती है। यह सर्जरी एक युवा महिला रोगी पर की गई, जिसका लिवर कैंसर डायफ्राम तक फैला था। सर्जरी के बाद रोगी की स्थिति स्थिर है और वह चिकित्सीय निगरानी में हैं।
इनका कहना है
संस्थान में पहली बार सफलतापूर्वक राइट हेपेटेक्टोमी सर्जरी को अंजाम दिया गया। यह लिवर कैंसर से जूझ रहे रोगियों के लिए उपचार के नए विकल्प के रूप में सामने आई है। जिससे ना केवल भोपाल बल्कि पूरे प्रदेश के मरीजों को लाभ मिलेगी। उन्हें इसके लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाना होगी। यह जटिल प्रक्रिया आमतौर पर लिवर कैंसर या अन्य गंभीर हेपेटिक रोगों के लिए की जाती है।
- प्रो. डॉ. अजय सिंह, कार्यपालक निदेशक, एम्स भोपाल।