लाइफस्टाइल डेस्क, इंदौर। आमतौर पर लाल गाजर का सेवन तो अधिकांश लोग करते हैं, लेकिन काली गाजर के बारे में बहुत कम लोगों ने सुना होगा। काली गाजर दरअसल कुछ एशियाई देशों में ही पाई जाती है। काली गाजर कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। काली गाजर का बॉटनिकल नाम ‘डौकस कैरोटा सबस्प’ है। इसकी खेती भारत से साथ-साथ चीन में भी होती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में लाल, बैंगनी, सफेद, पीले और काले रंग की गाजर भी होती है। इसमें काली गाजर के सेवन से सेहत को ये फायदे होते हैं।
काली गाजर कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें काला रंग एंथोसायनिन के कारण होता है, जो अल्जाइमर रोग से बचाता है। इसके अलावा सूजन कम करने में भी मदद करता है। काली गाजर में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो पुरानी बीमारियों के साथ-साथ ऑक्सीडेटिव तनाव को धीमा करने में मदद कर सकती हैं। इसके सेवन से रूमेटोइड गठिया दूर होता है।
काली गाजर में फाइबर भी काफी ज्यादा होता है, जो स्वस्थ पाचन तंत्र के लिए आवश्यक है। फाइबर के सेवन से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने मदद मिलती है और शरीर में इंसुलिन लेवल कंट्रोल में रहता है। डायबिटीज के रोगियों के लिए यह रामबाण औषधि के समान काम करती है।
काली गाजर में शक्तिशाली एंटी कैंसर एजेंट होते हैं। इसके नियमित सेवन से कैंसर का खतरा कम होता है। लाल गाजर के समान ही काली गाजर के सेवन से आंखों से दृष्टि में सुधार होता है। इसमें भी बीटा-कैरोटीन भरपूर होता है।
काली गाजर का सेवन ऐसे लोगों को नहीं करना चाहिए, जिन्हें त्वचा से संबंधित कोई स्वास्थ्य समस्या है। इसके अलावा काली गाजर के सेवन से कुछ लोगों को एलर्जी भी हो सकती है। अत्यधिक मात्रा में काली गाजर खाने पर पेट फूलना और हाई बीपी की समस्या भी हो सकती है।