युवराज गुप्ता, बड़वानी। कार्तिक माह की पूर्णिमा के साथ ही ऐतिहासिक पौराणिक नर्मदा परिक्रमा भी शुरू हो चुकी है। प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु प्रदेश की जीवनदायिनी पुण्य सलिला मां नर्मदा की परिक्रमा करते हैं। परिक्रमावासियों का गुजरना मालवा-निमाड़ के चार जिलों से शुरू हो चुका है।
इनकी सेवा-सत्कार के लिए लोगों ने अपने घर-द्वार खोल दिए हैं, लेकिन परिक्रमा मार्ग पर समस्या बरकरार है। यह समस्या पुराने मार्गों, पड़ावों के बैकवाटर में जलमग्न होने की है। हालांकि, कुछ नए मार्ग और पड़ाव निर्धारित हो गए हैं।
परिक्रमावासियों की सुविधा के लिए बड़वानी जिले के कुछ समाजसेवी मिलकर नवाचार कर रहे हैं। इसके तहत डूब क्षेत्र के गांवों के तटीय इलाकों से लेकर विविध पड़ावों और अन्नक्षेत्रों की जानकारी संकलित कर विशेष पोस्टर और पर्चा बनाया जा रहा है।
इसके एक ओर मप्र के ओंकारेश्वर से गुजरात तक नदी के दोनों ओर के पड़ावों व अन्नक्षेत्रों की जानकारी रहेगी। पिछले हिस्से में नक्शा भी रहेगा। बैकवाटर के तटीय क्षेत्र के नए स्थलों की जानकारी रहेगी। बता दें, गुजरात के सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर में चार जिलों खरगोन, बड़वानी, धार, आलीराजपुर के करीब 178 गांव डूब की जद में आए हैं।
ऐसे में डूब क्षेत्र के गांवों से गुजरने के दौरान नर्मदा परिक्रमावासियों को आने वाली परेशानी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं, नर्मदा परिक्रमा के यूनेस्को में भी शामिल होने की तैयारी जारी है। मालूम हो कि अमरकंटक और ओंकारेश्वर से नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत की जाती है।
65 गांव बड़वानी जिले में हैं।
77 गांव धार जिले में आते हैं।
10 गांव खरगोन जिले में हैं।
26 गांव आलीराजपुर जिले में।
138 मीटर है नर्मदा नदी के बैकवाटर की डूब का अंतिम पैमाना।
(स्रोत : एनवीडीए)
नर्मदा सेवा ट्रस्ट राजघाट के संजय पुरोहित, अनिल जोशी एवं पं. सचिन शुक्ला ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा विशेष पोस्टर-पर्चा छपवाया जाएगा। पर्चा छापने के लिए जानकारी एकत्र कर रहे हैं। इसके एक ओर प्रमुख मार्ग पर आने वाले प्रमुख अन्नक्षेत्रों व पड़ावों के नाम रहेंगे, वहीं दूसरी ओर परिक्रमा पथ का पूरा नक्शा रहेगा।
ओंकारेश्वर से लेकर समुद्र तक और समुद्र से लेकर महेश्वर-मंडलेश्वर तक के रूट की पूरी जानकारी जुटाकर पर्चे के माध्यम से देंगे। परिक्रमा मार्ग के पड़ावों में आने वाले अन्न क्षेत्रों में भोजन और आवास की निशुल्क व्यवस्था क्षेत्र के नर्मदा भक्तों के माध्यम से की जाती है। ट्रस्ट द्वारा उक्त पोस्टर को इंटरनेट मीडिया पर नर्मदाजी के विविध ग्रुपों में प्रसारित किया जाएगा। इसके माध्यम से भी जानकारी साझा की जाएगी।
नर्मदा के डूब गांव में ठीकरी से लेकर महाराष्ट्र सीमा तक विविध पड़ाव हैं, जहां अन्नक्षेत्र संचालित होता है। इसमें ठीकरी से आगे बढ़ते हैं तो ग्राम लखनगांव फाटे पर, तलवाड़ाडेब, लोहारा, मंडवाड़ा, अंजड़ में भावसार धर्मशाला, बोरलाय में हनुमान मंदिर में, आरटीओ कार्यालय के समीप संतश्री का अन्नक्षेत्र, सेगांव हनुमान मंदिर में, सिद्धेश्वर मंदिर बड़वानी में अन्नक्षेत्र हैं।
यहां से आगे बढ़ते हैं तो गायत्री मंदिर पिछौड़ी, भवती में, बोरखेड़ी, घोंघसा, खैरवानी में महाराष्ट्र वाले अन्नक्षेत्र चलाते हैं। सेमलेट में उमराव सरपंच अन्नक्षेत्र चलाते हैं। भादल मध्यप्रदेश का अंतिम पड़ाव है। इसके बाद झरकल नदी को पार कर महाराष्ट्र का भादल गांव आता है। वहां से आगे बढ़कर खपरमाल आता है। यहां पर उत्तम स्वामीजी का आश्रम और अन्नक्षेत्र है।