विदिशा। किसी भी शहर को स्वच्छ बनाने के लिए कचरे का संग्रहण, परिवहन और निस्तारण यह तीन घटक महत्वपूर्ण होते है।विशेषज्ञ भी मानते है कि यदि इन तीनों व्यवस्थाओं को मजबूत बना दिवा जाए तो शहर को स्वच्छ बनाया जा सकता है लेकिन विदिशा शहर में यह तीनों व्यवस्थाएं ही कमजोर है। इसकी वजह निगरानी का अभाव है। हालात ये है कि घर- घर से कचरा संग्रहण के लिए लगाए गए वाहनों में साल भर से जीपीएस ( ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) बन्द पड़े हुए है, जिसकी वजह से इन वाहनों की निगरानी नही हो पा रही है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की रैंकिंग में आई गिरावट की यही कमियां है जिसे अगले सर्वेक्षण में दूर करने की जरूरत है।नवदुनिया ने शहर के सर्वेक्षण में पिछड़ने के कारणों की पड़ताल की तो नपा अफसरों को लापरवाही अधिक सामने आई। अफसरों की उदासीनता के कारण शहर की व्यवस्था बिगड़ती गई। न तो घरों से नियमित कचरे का उठाव हुआ और ना ही नालियों की सफाई हुई। इसका परिणाम पूरे शहर की स्वच्छता पर पड़ा। हालांकि, अब नपा के अधिकारी इन कमियों को दूर कर स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में अच्छा स्कोर हासिल करने की बात कह रहे है।
जीपीएस पर लाखों खर्च फिर भी परिणाम जीरो
नगर पालिका ने दो साल पहले स्वच्छ सर्वेक्षण में अच्छे अंक हासिल करने के लिए ही घर- घर से कचरा उठाने वाले वाहनों में जीपीएस लगाए थे ताकि यह निगरानी कर सके कि वार्ड में वाहन जा रहे है या नही। इसके लिए नपा ने साढ़े चार लाख रुपये का भुगतान भी किया। लेकिन इसके कोई सकारात्मक परिणाम सामने नही आए। नपा के सूत्र बताते है कि बिना सफाई रूट तैयार किये ही जीपीएस लगाए गए थे। इसकी निगरानी के लिए कोई कंट्रोलरूम तक नही बनाया गया। वाहनों में जीपीएस संचालित करने के लिए अलग से तकनीकी अमले की तैनाती नही की। जिसकी वजह से यह सिस्टम बार- बार खराब होते गए। जब यह सिस्टम फेल हो गया तो नपा ने बीते साल इस पर कोई काम ही नही किया।
धूल खा रही 54 लाख में धूल हटाने की मशीनें
शहर को स्वच्छ रखने के लिए नगर पालिका के पास संसाधनों को कोई कमी नही है। नपा के पास 110 वाहन है, जिसमे से 95 चालू अवस्था मे है। इनमें दो मशीनें ऐसी है जिन्हें धूल हटाने के लिए खरीदा था लेकिन वर्षो से यह मशीनें नपा के गोदाम में धूल खा रही है। इनमें एक मशीन वर्ष 2012 में करीब 6 लाख रुपये में खरीदी थी। एक- दो बार के बाद यह मशीन कभी सड़क पर नही दिखी। इसके बाद तीन साल पहले नगर पालिका ने धूल हटाने के लिए 48 लाख रुपये की आधुनिक मशीन खरीदी लेकिन इसका भी उपयोग नही हुआ। आज शहर की ऐसी कोई गली नही, जहां के रहवासी धूल से परेशान ना हो।
तकनीकी खामियों के चलते पिछले साल वाहनों में जीपीएस का उपयोग नही हो पाया। इस वर्ष सभी वाहनों में जीपीएस लगाकर सफाई वाहनों की कड़ाई से निगरानी की जाएगी। इसके लिए नपा कार्यालय में ही कंट्रोलरूम बनाया जा रहा है।
- सुधीर कुमार सिंह, सीएमओ, नगर पालिका, विदिशा।