नवदुनिया प्रतिनिधि, विदिशा। पंद्रह दिनों से शहर में चर्चा का विषय बने बीजा मंडल पर नाग पंचमी के दिन भी आखिरकार ताला नहीं खुला। पुलिस के पहरे के बीच विजय मंदिर पुनर्निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष और विधायक मुकेश टंडन ने हर साल की तरह इस बार भी बंद ताले के सामने ही पूजन किया। इधर ताला नहीं खुलने से नाराज पंडित नंद किशोर शास्त्री और हिंदूवादी संगठनों के युवाओं ने पूजन में हिस्सा नहीं लिया। वे परिसर में बैठकर विरोध प्रदर्शन करते रहे।
दसवीं शताब्दी से भी प्राचीन बीजा मंडल को लेकर हर साल विवाद की स्थिति बनती है। यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है और जहां हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं, उस जगह के द्वार पर ताला लगा हुआ है। करीब 30-32 वर्षों से यहां बंद ताले के सामने ही पूजन होता आ रहा है। इस बार शहर के हिंदूवादी युवाओं ने करीब दस दिनों से ताला खोलने की मांग उठाना शुरू कर दिया था। इसी को लेकर उन्होंने कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य को ज्ञापन भी दिया था। इसके जवाब में कलेक्टर ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हवाले से इस स्थल को मस्जिद बता दिया, जिसके बाद यह मामला गरमा गया था।
इसका नतीजा ये हुआ कि शुक्रवार को बीजा मंडल परिसर आकर्षण का केंद्र बन गया। सुबह से ही भारी संख्या में पुलिस बल तैनात हो गया और दोपहर से ही लोगों का पहुंचना शुरू हो गया। शाम को यहां घंटी बजाते हुए विधायक टंडन अपने साथियों के साथ पहुंचे और बंद ताले के सामने पूजन किया। यहां पुलिस कर्मियों के अलावा एसडीएम क्षितिज शर्मा, तहसीलदार अमित सिंह के अलावा अन्य अधिकारी मौजूद थे।
ताला खोलने की मांग कर रहे युवा ताला लगे कमरे के सामने ही बैठक हनुमान चालीसा का पाठ करते रहे। इसके बाद यहां पंडित नंद किशोर शास्त्री भी पहुंच गए। उन्होंने भी ताला खोलने की मांग करते हुए युवाओं का साथ दिया। एक तरह विधायक टंडन पूजन करते रहे और दूसरी ओर युवा ताला खोलने के लिए नारेबाजी करते रहे।पंडित शास्त्री ने बताया कि वे पिछले कई वर्षों से बंद ताले में ही पूजन करते रहे। इस बार ताला खुलने की उम्मीद थी जो पूरी नहीं हुई। वहीं ताला खोलने के लिए चलाए जा रहे अभियान में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शुभम वर्मा ने कहा कि उन्होंने कानून के दायरे में रहकर अपना विरोध जताया है। उनका यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक बीजा मंडल का ताला नहीं। खुल जाता।
बीजा मंडल के मुद्दे को पिछले 72 वर्षों से उठा रहे 88 वर्षीय पंडित नंद किशोर शास्त्री ने कहा कि पिछले साल नाग पंचमी के पूजन के समय मुकेश टंडन ने कहा था कि पंडित जी अगले साल ताला खोलकर पूजन करेंगे। इसी के चलते विधानसभा चुनाव में हमने उनका समर्थन किया था, लेकिन इस वर्ष विधायक बनने के बाद भी ताला नहीं खुलवा पाए। उनका कहना था कि अब उनकी जिंदगी के कुछ साल ही बचे हैं। वे इस धार्मिक स्थल का ताला खुला देखना चाहते हैं। उनके मुताबिक यहां मस्जिद नही, प्राचीन सूर्य मंदिर रहा है, जिसकी तुलना कोणार्क के मंदिर से की जाती रही है। इसे मस्जिद बताने वाले लोग मूर्ख है।
विधायक टंडन ने पूजन के बाद पत्रकारों से कहा कि यदि आज पूजन नहीं करते तो यह भगवान का अपमान होता। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य ताला खुलवाना नहीं, विधायक टंडन का कहना है कि उनका लक्ष्य ताला खुलवाना नहीं, इसे मंदिर के रूप में स्वीकार्यता दिलवाना है। टंडन का कहना था कि अब इस अभियान से पूरे शहर को जोड़ा जाएगा और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के रिकॉर्ड में परिवर्तन के लिए न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी।इसके अलावा वे शहर के प्रमुख लोगों के प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे ताकि यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया जा सके।
जानकारों का कहना है कि शहर में बीजा मंडल को लेकर विवाद नया नहीं है लेकिन इस बार कलेक्टर के एक पत्र ने शहर में कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न कर दी।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के रिकार्ड में वर्षों से इस स्थल को मस्जिद ही लिखा है लेकिन पूर्व के कलेक्टरों ने कभी इसे सार्वजनिक नहीं किया। इस बार कलेक्टर ने इस स्थल को मस्जिद बताने के साथ साथ पूजन करने पर एक साल की सजा का नियम तक बता दिया था। जिसके कारण लोगों का आक्रोश बढ़ गया और वे बड़ी संख्या में बीजा मंडल पहुंच गए। इस दौरान युवाओं के आक्रोश को देखकर स्थिति बिगड़ने की भी संभावना बनी, लेकिन नेतृत्वकर्ताओं की सूझबूझ के कारण स्थिति नियंत्रण में रही। इसी पत्र की वजह से बीजा मंडल शुक्रवार को राष्ट्रीय मीडिया में भी छा गया। इसी पत्र पर पूर्व राज्य सभा सदस्य रघुनंदन शर्मा ने भी एक दिन पहले भारी नाराजगी जताई थी। उन्होंने तो कलेक्टर को भी तत्काल हटाने की मांग की थी।
बीजा मंडल पर पूजन के बाद वहां मौजूद दो कार्यकर्ता ही आपस में उलझ पड़े। जानकारी के अनुसार बंद ताले के सामने पूजन के बाद एक कार्यकर्ता ने विरोध कर रहे लोगों को नारेबाजी बंद करने के लिए कह दिया। जिस पर कुछ लोग नाराज हो गए और दो लोगों के बीच जमकर बहस होने लगी। विवाद बढ़ता देख मौके पर मोजूद पुलिस अधिकारियों ने दोनों को समझाइश देकर अपने घरों की ओर रवाना किया।