यूनानी राजदूत ने धर्म बदल बनवाया था गरूड़ स्तंभ
दिशायाम पत्रिका में दर्ज जानकारी के अनुसार हेलियोडोरस तक्षशिला के यूनानी शासक अंतयलसीदास का राजदूत था।
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Publish Date: Sun, 24 Feb 2019 03:44:26 PM (IST)
Updated Date: Mon, 25 Feb 2019 07:26:29 AM (IST)
विदिशा से अजय जैन। विदिशा से करीब तीन किमी दूर बेसनगर में स्थित गरूड़ स्तंभ प्राचीन स्मारकों में शामिल है। इसका निर्माण यूनानी राजदूत हेलियोडोरस ने करवाया था। इस स्तंभ को एक ही पत्थर काटकर बनाया गया था। ऐतिहासिक दृष्टि से इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस स्तंभ पर पाली भाषा में ब्रह्म लिपि का प्रयोग करते हुए अभिलेख मिलता है। यह प्राचीन स्मारक देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी है। शहर के इतिहासकार गोविंद देवलिया द्वारा लिखित दिशायाम पत्रिका में इस स्तंभ के इतिहास को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां दर्ज हैं।
देवलिया के मुताबिक यह स्तंभ देश के प्राचीनतम स्मारकों में शामिल है। ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि इसका निर्माण यूनानी राजदूत हेलियोडोरस ने वैष्णव धर्म अपनाने के बाद करवाया था। एक चबूतरे पर खड़ा यह स्तंभ 20 फीट से अधिक ऊंचा है। यह भूरे गुलाबी रंग के बालुई स्फटिक पत्थर से बना हुआ है। यह ऊपर की ओर शुण्डाकार है। वहीं गरूड़ शीर्ष सुशोभित है। इसके अष्ठभुजी भाग में ईसा पूर्व द्वितीय शताब्दी के अभिलेख मिलते हैं। इतिहास के अन्य दस्तावेजों के अनुसार हेलियोडोरस वह पहला विदेशी व्यक्ति था। जिसने अपना धर्म बदलकर वैष्णव धर्म अपनाया था।
कौन था हेलियोडोरस : दिशायाम पत्रिका में दर्ज जानकारी के अनुसार हेलियोडोरस तक्षशिला के यूनानी शासक अंतयलसीदास का राजदूत था। जो शुंग वंश के राजा भागवद्र के दरबार में आया था। राजा भागवद्र प्रतापी पुष्य मित्र शुंग की नौवीं पीढ़ी का राजा था। पुष्प मित्र शुंग ने ही मौर्य वंश के अंतिम शासक वृहद्रथ की हत्या कर अपना शासन स्थापित किया था। उस वक्त पुष्यमित्र ने विदिशा को राजधानी का दर्जा दिया था। ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार हेलियोडोरस यहां राजदूत बनकर आया था लेकिन वह वैष्णव धर्म से इतना प्रभावित हुआ कि उसने वैष्णव धर्म को स्वीकार कर भगवान विष्णु के मंदिर के सामने इस गरूड़ स्तंभ की स्थापना की थी। इस क्षेत्र को खाम बाबा भी कहा जाता है।