आकाश सिंह भदौरिया। अशोकनगर
श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकन चीतों के साथ दुर्लभ प्रजाति के काले हिरण भी रहेंगे। इन हिरण को अशोकनगर से वन विभाग कूनो में पहुंचाएगा। इससे पहले अशोकनगर जिले में काले हिरण की गणना शुरू की जा रही है। यह गणना तीन से चार दिन में शुरू हो सकती है, जिसके बाद खेतों से फसल कटने पर बोमा तकनीक से हिरण पकड़े जाएंगे। हालांकि अभी कूनो में चीते नहीं आए हैं। काला हिरण शेड्यूल वन श्रेणी का वन्य जीव है और यह हिरणों की दुर्लभ प्रजाति है। अशोकनगर में इनकी संख्या चार हजार के करीब है। यह हिरण पहाड़ व जंगल की अपेक्षा खुले मैदान में रहना अधिक पसंद करते हैं। इसलिए यहां खेतों में हिरणों के झुंड घूमते रहते हैं। इनके कारण फसल को नुकसान होता है। चूंकि कूनो में खुला मैदान है। वहां आने वाले अफ्रीकन चीतों के साथ अन्य वन्य जीव भी बसाए जा रहे हैं, जिससे कि उन्हें प्राकृतिक माहौल मिल सके। इसके लिए शिवपुरी से सांभर भेजे जा रहे हैं। ऐसे में यहां किसानों की परेशानी को देखते हुए अशोकनगर वन विभाग ने काले हिरण भी कूनो भेजने की तैयारी की है, जिससे काले हिरण को नया घर मिल जाएगा और किसानों की समस्या भी काफी हद तक खत्म हो जाएगी।
अफ्रीका में पाए जाते हैं स्प्रिंबबॉक्स प्रजाति के हिरण
वन विभाग के डीएफओ डा. अंकित पांडे ने मुख्य वन सरंक्षक से इस संबंध में चर्चा भी की है। डीएफओ डा. पांडे ने बताया कि अफ्रीका में स्प्रिंगबॉक्स प्रजाति के मृग पाए जाते हैं। काले हिरण भी इन्हीं की एक प्रजाति है। इसलिए अफ्रीकन चीते इनके साथ आसानी से रह पाएंगे। कूनो में काले हिरण को बेहतर संरक्षण भी मिल जाएगा। हालांकि अभी यह निश्चित नहीं है कि कितनी संख्या में काले हिरण भेजेंगे। डीएफओ का कहना है कि जितने हिरण आसानी से जा सकेंगे, उतने हिरण को भेजेंगे।
बोमा तकनीक से पकड़े जाएंगे हिरण
काले हिरण को पकड़ने के लिए वन विभाग द्वारा बोमा तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक में पहले एक बड़े इलाके में जानवरों को लाया जाता है, फिर यहां इनकी घेराबंदी करते हैं। जानवर को निकलने के लिए एक जगह दी जाती है, वहां पर घास डालकर जिस वाहन या पिंजरे में उसे ले जाया जाता है, उसे रखते हैं, ताकि वह खुद ही इसमें पहुुंच जाए। हिरण को ले जाने के लिए प्राकृतिक माहौल मिले, इसलिए गाड़ी में घास आदि रखी जाएगी।
जिले से काले हिरणों को कूनो में अफ्रीकन चीतों के साथ रहने के लिए भेजेंगे। इस संबंध में मेरी सीसीएफ सर से बात हो गई है। इन हिरण को पकड़ने के लिए बोमा तकनीक का इस्तेमाल करेंगे। यह तब पकड़े जाएंगे, जब फसल कट जाएगी और खेत खाली होंगे।
-डा. अंकित पांडे, डीएफओ अशोकनगर
- काले हिरणों को रहने के लिए खेत जैसा माहौल चाहिए। अशाोकनगर से काले हिरणों को कूनो शिफ्ट करने की योजना बनाई है। इसे मंजूरी के लिए शासन के पास भेजा जाएगा।
सीएस निनामा, मुख्य वन संरक्षक शिवपुरी