नईदुनिया, उमरिया (Umaria News)। शुक्रवार की सुबह 13 हाथियों के झुंड का छोटा हाथी बीमार हुआ है वह भी तेरह हाथियों का ही है। तेरह हाथियों में से बाकी के 12 हाथी स्वस्थ्य बताए जा रहे हैं। हालांकि उन पर भी लगातार नजर रखी जा रही है। यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि छोटा जंगली हाथी किसी वस्तु को खाने से बीमार हुआ है या फिर किसी और कारण से वह अस्वस्थ्य हुआ है। यह जानकारी जरूर सामने आ रही है कि बीमार हुए छोटे हाथी के शरीर में कंपन हो रहा है। उसने कई जगह लीद भी भी की है।
बीमार हुए जंगली हाथी की जानकरी मिलने के बाद जब वन प्रबंधन के अधिकारी मौके पर पहुंचे तो उन्हें सबसे ज्यादा समय छोटे हाथी का रेस्क्यू करने में लगा। दरअसल बीमार हाथी को उसके झुंड से अलग करना मुश्किल काम था।
कुछ देर की मशक्कत के बाद वन विभाग ने यह रेस्क्यू कर लिया और बीमार हाथी को अलग करने के साथ ही उसका उपचार भी प्रारंभ कर दिया। इस मामले को लेकर वन विभाग ने चुप्पी साधी हुई है और अभी तक कोई भी जानकारी जारी नहीं की गई है।
बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के अंतर्गत लखनौटी और रोहनिया गांव में 22 भैंस कोदो की फसल खाने से बीमार हो गई हैं। शासकीय पशु चिकित्सक मौके पर पहुंच कर इलाज कर रहे हैं।
अभी हाल ही में हुई हाथी मृत्यु की घटनाओं के बाद बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व प्रबंधन भी अलर्ट मोड़ पर आ गया है और अपने स्टाफ से मवेशियों की निगरानी कराई जा रही है और सैंपल लिए जा रहे हैं।
कोदो में होने वाले फंगल इनफेक्शन माइकोटाक्सीन की वजह से इसी साल शहडोल जिले के गोहपारू तहसील के ग्राम कुदरी-भर्री निवासी एक ही परिवार के पांच लोग बीमार हो गए थे, जिन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल में दाखिल किया गया था। डाक्टरों को इन सबकी जान बचाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।
वर्ष 1999-2000 में अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद के एक गांव में कोदो की गहाई के दौरान कोदो खाने से कई बैलों की मौत हो गई थी। उस समया के विशेषज्ञों ने मोर्चा संभाला था।
कृषि वैज्ञानिक केपी तिवारी ने बताया कि यहां एक और खास बात यह है कि कोदो बाजार के बीजों में पाए जाने वाले माइकोटाक्सीन, साइक्लोपियाजोनिक एसिड सीपीए की पहचान सबसे पहले वर्ष 1980 के दशक में मध्यप्रदेश में ही हुई थी।