उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। श्री गढ़कालिका माता मंदिर में शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर रविवार रात 12 बजे गढ़कालिका की महापूजा होगी। इस मंदिर में महिला पुजारी महंत करिश्मानाथ द्वारा आद्यशक्ति माता गढ़कालिका की पूजा अर्चना की जाएगी। देवी को मालपुए सहित नौ प्रकार के मिष्ठान का भोग लगेगा। पश्चात ढोल ढमाकों के साथ महाआरती की जाएगी।
दक्षिण भारतीय परंपरा में गढ़कालिका माता मंदिर को शक्तिपीठ व देवी पीठ माना गया है। यह महाकवि कालिदास की आराध्य देवी हैं। गर्भगृह में माता गढ़कालिका, सरस्वती व महालक्ष्मी की मूर्तियां विराजित हैं। प्राचीन भैरव पर्वत पर स्थित यह स्थान साधना व सिद्धि के लिए विशेष माना गया है। शाक्त व अघोर तंत्र साधक अपनी विशिष्ट पूजा पद्धति से शक्ति उपासना कर इच्छित सिद्धियां प्राप्त करते हैं।
महंत करिश्मानाथ ने बताया नवरात्र के नौ दिन लोक कल्याण की भावना व देश, प्रदेश व नगर की सुख समृद्धि के लिए विशेष पूजा अर्चना की जा रही है। महाअष्टमी पर रविवार को रात 12 बजे महापूजा होगी। देवी को नौ प्रकार के मिष्ठान का विशेष भोग लगाया जाएगा। इसके बाद महाआरती होगी।
दिन में शासन की ओर से नगर पूजा दल मंदिर पहुंचेगा तथा पूजा अर्चना की जाएगी। महानवमी पर सोमवार को राष्ट्र कल्याण के लिए विशिष्ट सामग्री व औषधियों से हवन किया जाएगा। 24 अक्टूबर को दशहरे पर कन्या भोज का होगा।
मंगलनाथ मार्ग स्थित श्री मौनतीर्थ आश्रम में स्थित 18 भुजाओं वाली भगवती माता राजजेश्वरी का महाअष्टमी पर महामंडलेश्वर स्वामी डा.सुमनानंद गिरीजी महाराज के के सानिध्य में फल व कुमकुम से सहस्त्रार्चन होगा। महापूजा के पश्चात फल व कुमकुम भक्तों को भेंट किए जाएंगे। मान्यता यह देवी की विशिष्ट साधना के बाद इन फल व कुमकुम को प्राप्त करने से सुख,समृद्धि बनी रहती है तथा भक्त के घर में धन धान्य की कभी कमी नहीं रहती है।