Ujjain News : उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। देश के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर के 52 फीट ऊंचे दीप स्तंभ में गुरुवार दोपहर अचानक आग लग गई। जिस समय आग लगी मंदिर में दर्शनार्थी मौजूद थे। हालांकि किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है। भीषण आग से दीपमालिका के करीब एक दर्जन दीपक क्षतिग्रस्त हो गए। इनके संधारण के लिए राजस्थान से कारीगरों को बुलाया जाएगा। हरसिद्धि मंदिर में आग लगने से कुछ समय के लिए अफरातफरी का माहौल निर्मित हो गया था।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार घटना दोपहर करीब डेढ़ बजे की है। कुछ दर्शनार्थी दीपमालिका के नीचे दीप प्रज्वलित कर रहे थे। दोपहर का समय होने से तेज धूप थी। ऐसे में दीपमालिका पर लगे तेल ने आग पकड़ ली।
देखते ही देखते ऊंची लपटें उठने लगी और आग ने विकराल रूप लिया। गनीमत रही दीपमालिका के समीप श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लगाए गए शामियाने तक आग नहीं पहुंची, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था। बाद में मंदिर प्रशासन के कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी तथा आसपास के लोगों ने परिसर स्थित बावड़ी की मोटर चलाकर आग पर काबू पाया।
दीपमालिका में तेल भरा होने से लगी आग
मंदिर प्रशासक एडवोकेट अवधेश जोशी ने बताया बुधवार को दीपमालिका प्रज्वलित की गई थी। लेकिन अचानक आई आंधी बारिश से दीपमालिका बुझ गई और दीपक में तेल भरा रह गया। साथ ही रूई की बातियां भी लगी हुई थी। गुरुवार सुबह कुछ श्रद्धालुओं ने दीपमालिका के नीचे दीप प्रज्वलित कर दिए, इससे आग लग गई जैसे ही लपटे उठीं दीपक में भरे हुए तेल और बाती ने आग पकड़ ली और पूरी दीपमालिका धूं धूं कर जलने लगी।
2016 में भी लगी थी आग
हरसिद्धि की दीपमालिका में आग लगने का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पूर्व 2016 में भी दीपमालिका में आग लगी थी। उस समय चार दीपक क्षतिग्रस्त हुए थे। मंदिर प्रशासन ने राजस्थान से कारीगरों को बुलाकर दीपमालिका का संधारण कराया था।
मराठा कालीन दीपमालिका
शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में दो दीप स्तंभ हैं। इन्हें दीपमालिका कहा जाता है। प्रत्येक दीप स्तंभ में 501 दीपक है। मराठा काल में दीपमालिका का निर्माण हुआ था। पत्थर से बनी दीपमालिका को प्रज्वलित करने में करीब 17 हजार रुपये का खर्च आता है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में भक्तों की सुविधा के लिए सामूहिक रूप से दीपमालिका प्रज्वलित की जाती है। इसके लिए प्रत्येक भक्त को 3100 रुपये की शासकीय रसीद कटवाना होती है।
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— NaiDunia (@Nai_Dunia) April 27, 2023
उल्लेखनीय है कि हरसिद्धि मंदिर में 51 फीट ऊंचे दो दीप स्तंभ हैं। इनमें 1100 दीपक हैं। कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने इन दीप स्तंभों का निर्माण करवाया था। तब से यहां दीपक जलाने की परंपरा है। देवी हरसिद्धि को राजा विक्रमादित्य की आराध्य भी माना जाता है। शाम को दीपक जलाने पर मंदिर की अद्भुत छटा नजर आती है। 6 लोग इस काम को अंजाम देते हैं। इन स्तंभों पर दीपक जलाने के लिए श्रद्धालुओं को लंबा इंतजार करना पड़ता है।