Swachh Ganga Mission: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। केंद्र सरकार ने उज्जैन में प्रवाहित मोक्षदायिनी शिप्रा नदी को ‘राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन’ में शामिल कर इसको प्रदूषण मुक्त करने के लिए 22 एमएलडी (मिलियन लीटर्स पर-डे) क्षमता की सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) निर्माण परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की है। इंतजार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट मिलने का है, जिसके बाद प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर एसटीपी का निर्माण शुरू किया जाएगा। इसे लेकर सांसद अनिल फिरोजिया ने कई बार पत्राचार कर और प्रत्यक्ष मिलकर स्वीकृति की मांग की थी। मालूम हो कि महीनेभर पहले केंद्र सरकार ने प्रदूषित कान्ह नदी को ‘नमामि गंगे मिशन’ में शामिल कर इंदौर में 195 एमएलडी के तीन एसटीपी बनाने को 511 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। दावा है कि इन प्लांट में उपचारित पानी आगे जाकर हमेशा की तरह उज्जैन में प्रवाहित शिप्रा में मिलेगा।
एसटीपी का निर्माण अगले दो वर्ष में पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके बाद पानी की गुणवत्ता सुधरेगी। ज्ञात रहे कि देश के सबसे स्वच्छ इंदौर का सीवेज युक्त 250 एमएलडी पानी कान्ह नदी के रूप में उज्जैन आकर शिप्रा में मिलता है। इससे शिप्रा का स्वच्छ पानी भी दूषित होता है। ऐसा न हो, इसके लिए बीते ढाई दशक में राज्य और केंद्र की सरकार ने कई प्रयास किए। अरबों रुपये भी खर्चे, बावजूद शिप्रा का जल शुद्ध नहीं हो सका। लिहाजा अब केंद्र सरकार ने कान्ह के बाद शिप्रा को भी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन में शामिल कर इसके उद्धार के द्वार खोल दिए हैं। मिशन के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने सांसद अनिल फिरोजिया को लिखे एक पत्र के माध्यम से परियोजना की सैद्धांतिक स्वीकृति की जानकारी भेजी है।
शिप्रा का पानी ‘डी’ ग्रेड का
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में शिप्रा का जल ‘डी’ ग्रेड का है। इसका मतलब है कि शिप्रा का पानी आचमन छोड़ स्नान लायक भी नहीं है।
स्नान पर्व महाकुंभ सिंहस्थ- 2028 करीब है। पीने के पानी की समस्या बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में सरकार अब और अधिक देरी न करके शिप्रा शुद्धी के लिए ठोस कदम उठा रही है। इसी कड़ी में उज्जैन नगर निगम ने शहर के सीवरेज युक्त पानी के उपचार के लिए सुरासा में स्थापित 92.5 एमएलडी क्षमता के एसटीपी को चालू कर प्रदूषित पानी का उपचार शुरू करवा दिया है। अगले कुछ महीनों में जल संसाधन विभाग 598 करोड़ 66 लाख रुपये की क्लोज डक्ट परियोजना का काम भी शुरू करवा देगा। फिलहाल ठेकेदार चयन के लिए कार्रवाई निविदा प्रक्रिया में है। परियोजना अंतर्गत कान्ह का दूषित पानी शिप्रा के नहान क्षेत्र (त्रिवेणी घाट से कालियादेह महल तक) में मिलने से रोकने के लिए गोठड़ा गांव में कान्ह पर पांच मीटर ऊंचा स्टापडेम बनाया जाएगा।
यहां से कालियादेह महल के आगे तक 16.5 किलोमीटर लंबा एवं 4.5 बाय 4.5 मीटर चौड़ा आरसीसी बाक्स बनाकर जमीन पर बिछाया जाएगा। इससे 40 क्यूमेक पानी डायवर्ट किया जा सकेगा। अंतिम 100 मीटर लंबाई में ओपन चैनल का निर्माण किया जाएगा। परियोजना का रखरखाव निर्माण एजेंसी 15 वर्षों तक करेगी। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सात वर्ष पहले कान्ह डायवर्शन नाम से कुछ इसी तरह की पाइपलाइन योजना अमल में लाई गई थी। योजना पर 95 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। हालांकि ये योजना पूरी तरह सफल नहीं हुई। कभी पाइपलाइन लीकेज तो कभी ओव्हर फ्लो की वजह से शीतकाल, ग्रीष्मकाल में भी कान्ह का पानी नहान क्षेत्र में मिलता रहा। इसी के फलस्वरूप अब क्लोज डाक्ट परियोजना को मंजूरी दी है।