Somvati Amavasya 2023: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। फाल्गुन मास की सोमवती अमावस्या पर सोमवार को मोक्षदायिनी शिप्रा व सोमकुंड में जिले सहित आसपास के क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इसके बाद दान पुण्य किया। मंदिरों में भी दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा। प्रशासन ने महापर्व को देखते हुए सोमकुंड पर स्नान के लिए फव्वारे लगाए गए थे। शिप्रा तट के घाटों पर भी तैराकों की ड्यूटी लगाई गई थी।सोमवती अमावस्या पर सोमकुंड में स्नान तथा सोमेश्वर तीर्थ स्थित सोमेश्वर महादेव के पूजन का विधान है। इसके चलते सोमवार सुबह से ही श्रद्धालु सोमकुंड पहुंच गए थे। वहीं, शिप्रा नदी के रामघाट, दत्त अखाड़ा घाट पर भी आस्थावानों ने स्नान कर दान पुण्य किया। पितरों के निमित्त तर्पण पिंडदान कर गाय को घास खिलाई। वहीं ब्राह्मणों को सीधा दान किया। ऐसी मान्यता है कि यह पितरों के निमित्त करने से वंश की वृद्धि, पारिवारिक सुख शांति होती है कलह निवृत्त होता है। मंदिरों में भी दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा।
30 वर्ष बाद बना कुंभ राशि में चंद्र शनि सूर्य का संयोग
ग्रह गोचर की मान्यता के अनुसार देखें तो शनि का एक राशि में परिवर्तन ढाई साल के बाद होता है। पुनः इसी राशि में आने में तकरीबन 30 वर्ष का समय लगता है। इस दृष्टिकोण से शनि का कुंभ राशि में आना और फाग मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर सूर्य , चंद्र के साथ युति बनाना पितृ कर्म के दृष्टिकोण से विशेष माना जाता है। यही साधना के लिए भी अनुकूल बताया गया है।
नक्षत्र मेखला की गणना के अनुसार यदि हम बात करें तो 27 नक्षत्रों में पंचक के 5 नक्षत्र प्रमुख होते हैं। जिनमें से धनिष्ठा नक्षत्र की विशिष्टता शास्त्र के द्वारा बताई जाती है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर यदि धनिष्ठा नक्षत्र आता हो तो लक्ष्मी जी की साधना करना श्रेष्ठ है। जिसके अंतर्गत कनकधारा स्तोत्र लक्ष्मी स्तोत्र पाठ के द्वारा माता की प्रसन्नता की जा सकती है।पितरों की कृपा प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ दिन सोमवती अमावस्या पर पितरों के निमित्त तर्पण पिंडदान करना चाहिए। गाय को घास खिलाना चाहिए, वहीं ब्राह्मणों को सीधा दान भी देने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि यह पितरों के निमित्त करने से वंश की वृद्धि, पारिवारिक सुख शांति होती है कलह निवृत्त होता है।