Nakshatra Vatika Ujjain: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जीवाजी वेधशाला परिसर में ढाई वर्ष पहले बनाई नक्षत्र वाटिका में लगी सूर्य सहित सभी आठ ग्रहों की प्रतिकृतियों का रंग फीका पड़ गया है। प्लेटफार्म टूट रहा है, और कुछ सूचना बोर्ड गायब हो गए हैं। स्थिति देख खगोल विज्ञान में रूचि रखने वाले नाराज हैं। उनका कहना है कि जीवाजी वेधशाला, काल गणना का मुख्य केंद्र है। ये वो स्थान है जहां शोध, अध्ययन के लिए दुनियाभर से विशेषज्ञ आते हैं। अभी कुछ दिन पहले इसरो के चेयरमैन श्रीधर सोमनाथ भी आए थे।
कायदे से इस स्थान का रखरखाव उम्दा होना चाहिए मगर इसकी लगातार उपेक्षा हो रही है। मालूम हो कि ब्रह्मांड के ग्रह-नक्षत्र, राशियों की स्थितियां प्रेक्टिकली समझाने के लिए वन विभाग ने ढाई वर्ष पहले नक्षत्र वाटिका का निर्माण 300 वर्ष पुरानी जीवाजी वेधशाला के परिसर में कराया था। जनवरी- 2021 में प्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार, उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव और सांसद अनिल फिरोजिया ने इसका लोकार्पण किया था।
नक्षत्र वाटिका के लोकार्पण में स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री ने वर्ष 2022-23 से खगोल विज्ञान में डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू कराने की घोषणा की थी। सांसद ने वेधशाला परिसर में वराहमिहिर की प्रतिमा स्थापित कराने, पास ही बहती शिप्रा नदी में पर्यटकों की सुविधा, आनंद के लिए बोट चलवाने का सुझाव दिया था। खास बात यह है कि न घोषणा पर अमल हुआ, न सुझाव पर।
नक्षत्र वाटिका में सूर्य और आठ ग्रहों के माडल स्थापित हैं। इनकी सूर्य से दूरी का क्रम, तुलनात्मक आकार, मूल रंग तथा परिभ्रमण को दर्शाया गया है। प्रथम वृत्ताकार पथ में 30-30 अंश के आधार पर 12 राशियों, उनके तारा समूह व आकार को दर्शाया गया है। प्रत्येक राशि से संबंधित वनस्पति को भी लगाया गया है। द्वितीय वृत्ताकार पथ में 13 डिग्री 20 के आधार पर 27 नक्षत्रों को दर्शाया गया है।
चार रंग के ग्रेनाइट के द्वारा प्रत्येक नक्षत्र को 3 डिग्री 20 के चारों चरणों को दर्शाया गया है। नक्षत्र वाटिका के वृत्ताकार पथ में राशियों व नक्षत्रों का समन्वय इस प्रकार से किया गया है कि आप प्रत्येक राशि से संबंधित नक्षत्रों तथा उसके चरणों का संबंध प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं। प्रत्येक नक्षत्र के तारा समूह, उसके आकार तथा उसकी वनस्पति को भी लगाया गया है। विश्व मानक समय की समझ के लिए वर्ल्ड क्लॉक को लगाया गया है।