MP Tourist Place: उज्जैन (नईदुनिया उज्जैन)। उज्जैन के कानीपुरा रोड पर वैश्य टेकरी के नाम से 2300 साल पुराना बौद्घ स्तूप है। इसका व्यास 350 फीट, ऊंचाई 100 फीट है। ये स्तूप राष्ट्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल है। इसकी वर्तमान स्थिति ठीक नहीं है। क्योंकि स्तूप की तरफ सरकार देख तक नहीं रही। धर्मनगरी उज्जैन को पर्यटन के नक्शे पर उभारने के लिए सरकार ने बीते एक दशक में कई काम कराए लेकिन राष्ट्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल वैश्य टेकरी की ओर ध्यान नहीं दिया। स्थिति यह है कि वैश्य टेकरी को पर्यटन के रूप में संवारने के लिए सरकार के पास योजना तक नहीं है। पर्यटन विकास निगम के कार्यपालन यंत्री का कहना है कि वैश्य टेकरी पर सभी भूमि निजी स्वामित्व की है, यदि शासन द्वारा वहां भूमि उपलब्ध कराई जाती है तो पर्यटन के मान से कार्य योजना बनाई जा सकती है।
पुरातत्वविद् डा. रमणसिंह सोलंकी के अनुसार सम्राट अशोक ने अपनी पत्नी की स्मृति में भारतवर्ष में 84 हजार स्तूपों का निर्माण कराया था। इन स्तूपों में उज्जैन का स्तूप सबसे बड़ा है। वर्ष 1937-38 में मिस्टर गर्दे द्वारा की गई खुदाई में इस स्तूप के अवशेष प्राप्त हुए थे।
भारत समेत चीन, कंबोडिया, श्रीलंका, जापान के बौद्ध अनुयायियों के लिए यह आस्था का केंद्र
वैश्य टेकरी भारत समेत चीन, कंबोडिया, श्रीलंका, जापान के बौद्ध अनुयायियों के लिए आस्था का केंद्र है। अगर इसका समुचित विकास हो तो यहां पर्यटन काफी बढ़ सकता है। इस क्षेत्र और पहुंच मार्ग का तेजी से विकास हो सकता है। पास ही उंडासा तालाब है जहां साइबेरिया समेत दुनियाभर से प्रवासी पक्षी हर साल पहुंचते हैं।
श्री महाकाल महालोक के लोकार्पण के बाद दुनियाभर से उज्जैन आ रहे पर्यटक
श्री महाकाल महालोक के लोकार्पण के बाद दुनियाभर से पर्यटक उज्जैन आ रहे हैं। वर्ष 2028 में महाकुंभ सिंहस्थ लगना है। इसके पहले सरकार उज्जैन को धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से स्वच्छ, सुंदर और समृद्ध बनाने के लिए ताकत झोंके हैं। प्रबुद्धजनों का कहना है कि सरकार को वैश्य टेकरी की ओर भी ध्यान देना चाहिए।