Mahakal Sawari: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से कार्तिक मास में सोमवार को भगवान महाकाल की दूसरी सवारी निकली। वैकुंठ चतुर्दशी के महासंयोग में निकली सवारी में भगवान महाकाल मनमहेश रूप में चांदी की पालकी में सवार होकर तीर्थ पूजन के लिए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचे। चतुर्दशी महापर्व पर निकली सवारी में श्रावण की सवारी जैसा उल्लास नजर आया। सवारी मार्ग तथा शिप्रा तट पर राजाधिराज महाकाल की एक झलक पाने के लिए हजारों भक्त मौजूद थे।
दोपहर 3.30 बजे मंदिर में सभा मंडप में पं. घनश्याम पुजारी के आचार्यत्व में भगवान महाकाल के मनमहेश रूप का पूजन किया गया। इसके बाद सवारी नगर भ्रमण के लिए रवाना हुई। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी ने अवंतिकानाथ को सलामी दी। इसके बाद कारवां शिप्रा तट पहुंचा। यहां पुजारियों ने भगवान महाकाल व तीर्थ पूजन किया। सवारी शाम करीब सात बजे पुन: मंदिर पहुंची।
भगवान महाकाल की सवारी में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। जय महाकाल के जयघोष से वातावरण गूंज उठा।वहीं, वैकुंठ चतुर्दशी पर सोमवार को सैकड़ों भक्तों ने शिप्रा में दीपदान किया। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की पत्नी साधनासिंह भी दीपदान के लिए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंची।
बता दें शिप्रा में दीपदान का सिलसिला रविवार को कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी से ही शुरू हो गया है। देशभर से आए श्रद्धालुओं ने चतुर्दशी को भी दीपदान किया। कार्तिक पूर्णिमा पर शिप्रा के विभिन्न घाटों पर महा दीपदान होगा। दीपो की रोशनी से शिप्रा का आंचल आकाश गंगा की तरह नजर आएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार महिलाएं पूर्णिमा पर ग्रहण मोक्ष के बाद दीपदान करेंगी।
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से कार्तिक मास में सोमवार को शाही ठाठ-बाट के साथ भगवान महाकाल की सवारी निकली। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण करने निकले। दोपहर मंदिर के सभा मंडप में भगवान का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया गया।
मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी ने राजाधिराज को सलामी दी। इसके बाद सवारी शिप्रा तट की ओर रवाना हुई। कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी, रामानुजकोट तिराहा होते हुए भगवान की पालकी मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंची
यहां पुजारियों ने शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक-पूजन किया गया। पूजन पश्चात सवारी राणौजी की छत्री घाट से होते हुए शिप्रा के छोटे पुल के समीप स्थित गणगौर दरवाजा से नगर में पहुंची। यहां से कार्तिक चौक, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए पुन: मंदिर पहुंची। इसके बाद भगवान महाकाल की संध्या आरती की गई।
कार्तिक-अगहन में कब-कब सवारी
- 6 नवंबर को रात 11 बजे हरि-हर मिलन की सवारी निकली
- 7 नवंबर कार्तिक मास की दूसरी सवारी निकली
- 14 नवंबर अगहन मास की पहली सवारी।
- 21 नवंबर कार्तिक-अगहन मास की आखिरी सवारी।