उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि), Mahakal Sawari 2021। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से सोमवार को भगवान की तीसरी सवारी निकाली गई। राजाधिराज भगवान महाकाल ने श्रावण मास की रिमझिम फुहारों के बीच नगर भ्रमण किया। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर रूप में और हाथी पर मनमहेश रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले।
मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी ने राजाधिराज को सलामी दी। इसके बाद सवारी मोक्षदायिनी शिप्रा की ओर रवाना हुई। रंगबिरंगी ध्वजाओं से मार्ग को सजाया गया था। राजा की पालकी बड़ा गणेश मंदिर, हरसिद्धि चौराहा होते हुए झालरिया मठ के रास्ते शिप्रा के रामघाट पहुंची। यहां पुजारियों ने शिप्रा के जल से भगवान का अभिषेक कर पूजा-अर्चना की। पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, हरसिद्धि की पाल होते हुए हरसिद्धि मंदिर पहुंची। यहां पुजारियों ने शिव-शक्ति का मिलन कराया। इसके बाद सवारी फिर महाकाल मंदिर पहुंची।
इस बार भी भक्तों को सवारी में शामिल नहीं होने दिया गया। हालांकि सवारी मार्ग पर दोनों ओर दूर से लोग पालकी को निहार रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी साधना सिंह भी आज उज्जैन पहुंची व सावन के तीसरे सोमवार पर बाबा महाकाल के दर्शन किए। मंदिर में सवारी से पहले 1 बजे से प्रवेश बंद कर दिया गया था।
भगवान महाकाल की सवारी शासकीय सलामी के बाद शाम 4 बजे मंदिर प्रांगण से निकाली गई। महाकाल की सवारी मंदिर के मुख्य द्वार से बड़ा गणेश मंदिर होते हुए हरसिद्धि पाल नरसिंह घाट से क्षिप्रा नदी पहुंची। यहां पूजन के बाद रामानुजकोट आश्रम, हरिद्धि द्वार होते हुए वापस मंदिर लौटी। महाकाल की सवारी में पुजारी, पंडे और कहार को ही शामिल करने की अनुमति मिली ।
पंडितों के अनुसार कोविड गाइड लाइन के अनुसार सवारी का स्वरूप छोटा रखा गया है। मंदिर प्रशासन ने पुजारी, पुरोहित की सहमति से उमा महेश का मुखारविंद नहीं निकालने का निर्णय लिया था। ज्ञातव्य है कि मंदिर की परंपरा अनुसार श्रावण-भादौ मास की प्रत्येक सवारी में भगवान का एक नया मुखारविंद शामिल किया जाता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते बीते दो सालों से सवारी के स्वरूप में बदलाव किया गया है।
अब श्रावण भादौ मास की प्रथम छह सवारी में भगवान महाकाल के सिर्फ दो मुखारविंद चंद्रमौलेश्वर व मनमहेश को शामिल किया जाएगा। बाकी पांच मुखारविंद 6 सितंबर को निकलने वाली शाही सवारी में एक साथ बैलगाड़ी पर निकाले जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि महाकाल मंदिर में रविवार को अवकाश का दिन होने से देशभर से भक्त भगवान महाकाल के दर्शन करने पहुंचे। सुबह 5 बजे से शुरू हुआ दर्शन का सिलसिला रात 9 बजे तक चला। इस दौरान 30 हजार से अधिक भक्तों ने भगवान महाकाल के दर्शन किए।