Mahakal Sawan Sawari 2023: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर में जान-माल के लिए खतरा बने अनगिनत जर्जर मकान हैं। कुछ महाकाल सवारी मार्ग पर हैं। कायदे से नगर निगम को इन्हें हटवाना चाहिए, मगर ऐसा नहीं किया गया। हां, हर बार की तरह जर्जर भवनों को चिहि्नत कर हटाने के निर्देश दिए गए पर अब तक सूची तक न बनीं। उज्जैन में मानसून दस्तक दे चुका है और राजाधिराज महाकाल की परंपरागत सवारी निकलने में कुछ दिन शेष बचे हैं। ऐसे में अफसर अब जर्जर मकान ढूंढने निकले हैं। सर्वे उपरांत आंकड़ा एक-दो दिन में सामने आने की बात अधीक्षण यंत्री जीके कठिल ने कही है। कहा है कि अत्यधिक जर्जर मकान हटाए जाएंगे और जो मरम्मत योग्य हैं उनकी मरम्मत भवन मालिकों से करवाई जाएगी।
मालूम हो कि वर्षाकाल में तेज बरसात, हवा के कारण जर्जर भवनों के गिरने की आशंका बढ़ जाती है। हर वर्ष वर्षाकाल प्रारंभ होने से पहले ऐसे जर्जर भवनों को हटाने के निर्देश उज्जैन नगर निगम आयुक्त की ओर से जारी किए जाते रहे हैं। ऐसा इस बार भी हुआ है। मगर इस बार कार्रवाई नहीं हुई। इस पर एक दिन पहले निगम आयुक्त ने सभी भवन अधिकारी एवं भवन निरीक्षकों को इस संबंध में समय रहते कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए थे। हालांकि अगले दिन मंगलवार को भी इस दिशा में कोई जमीनी कार्रवाई नजर नहीं आई। जानकारों का कहना है कि महाकाल सवारी मार्ग पर ऐसे मकानों का होना, चिंतनीय है।
भवन अधिकारी और निरीक्षक, अवैध निर्माण रोकने, हटाने और समझौता शुल्क वसूलने में लापरवाही बरत रहे हैं। निगम आयुक्त ने इस दिशा में गंभीरता से कार्य करने को कहा है, मगर असर दिखाई नहीं देता। जानकारों का कहना है कि अवैध निर्माण के मामले में नियम से कार्रवाई हो तो शहर में अवैध निर्माण बढ़े ही ना। मगर, राजनीतिक दबाव और व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते नियमानुसार कार्रवाई नहीं हो पाती।
अगर नियम से अवैध निर्माण करने वालों से समझौता शुल्क वसूला जाए तो निगम को करोड़ों की आय हो सकती है। क्योंकि 90 फीसद मकान साइड और फ्रंट एमओएस छोड़े बिना बनाए गए हैं। पांच हजार वर्ग फीट से बड़े 224 भवनों का भौतिक सत्यापन कर विधि सम्मत अवैध निर्माण हटाने, समझौता शुल्क वसूलने की कार्रवाई की जाना थी, वह भी नहीं की गई। इंतहा ये है कि नोटिस तक नहीं दिए गए।