Mahakal Lok Ujjain: धीरज गोमे, उज्जैन। श्री महाकाल लोक के दूसरे चरण के कार्य शीघ्र शुरू किए जाएंगे। इनमें विशाल मूर्तियां शामिल की जाएंगी। छोटे रुद्रसागर के तट पर नटराज मंडल बनाया जाएगा। इसमें नटराज केंद्र में होंगे, जिसके आठों दिशाओं में नृत्य करती भगवान शिव की आठ मूर्तियां स्थापित होंगीं। इन मूर्तियों के चारों ओर उनके परम भक्त माने गए भगवान श्रीराम, माता सीता, माता पार्वती, परशुराम, शनिदेव, गुरु शुक्राचार्य की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। आधी से ज्यादा मूर्तियों का निर्माण कर लिया गया है। सभी मूर्तिया फाइबर रेन फोर्स प्लास्टिक से बनाई गई हैं। शिव-पार्वती और नृत्य करते शिव की आठ मूर्तियां बेहद खूबसूरत हैं।
भक्तों के दर्शनार्थ भगवान शिव के एकादश रुद्र स्वरूप की मूर्तियां भी बनाई हैं। कुछ मूर्तियां गोदाम और कुछ त्रिवेणी कला संग्रहालय के सामने बनी सरफेस पार्किंग के पिछले हिस्से में खुले में रखी हैं। कहा गया है कि छोटे रुद्रसागर के तट और ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के समीप बनाए जा रहे चिंतन वन, अनुभूति वन, मेघदूत वन में भी मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। मालूम हो कि श्री महाकाल लोक योजना के प्रथम चरण में बड़े रुद्रसागर के तट पर भगवान शिव सहित विभिन्ना देवी-देवताओं की 200 से अधिक मूर्तियां स्थापित की गई हैं। प्रथम चरण का कार्य 351 करोड़ रुपये से पूर्ण हुआ है। दूसरे चरण के लिए 505 करोड़ रुपये स्वीकृत हैं। इनमें से ज्यादातर काम शुरू हो चुके हैं और कुछ दीपावली के बाद शुरू किए जाने का दावा है।
महाकवि कालिदास की कल्पना के अनुसार तैयार होगा
महाकाल योजना के आर्किटेक्ट कृष्णमुरारी शर्मा ने नईदुनिया को बताया कि महाकवि कालिदास ने अपनी कालजयी रचना 'मेघदूतम् 'में महाकाल वन की जो परिकल्पना की है, उसे साकार किया जाएगा। इसके लिए दूसरे चरण के कार्यों में महाकालेश्वर मंदिर के आसपास खूबसूरत वन क्षेत्र तैयार किया जाएगा। महाकालेश्वर मंदिर से 100 मीटर दूर से भी श्रद्धालु शिखर के दर्शन निर्बाध कर सके, इस भावना को ध्यान में रख वन क्षेत्र बनाया जाएगा। महाराजवाड़ा भवन के आसपास शिव प्रिय पेड़-पौधे रोपे जाएंगे। एक पुष्प वाटिका बनाई जाएगी। बीच में फव्वारे लगाए जाएंगे।
शास्त्र सम्मत हैं सभी मूर्तियां
जितनी भी मूर्तियां बनाई हैं, वे सभी शास्त्र सम्मत हैं। उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी का कहना है कि शिव महापुराण में उल्लेखित घटनाओं को आधार मानकर ही भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई है। श्री महाकाल लोक धर्म और आध्यात्मक का सबसे बड़ा केंद्र बने, संस्कृति और सभ्यता का संवाहक बने, इसी भावना से यहां विकास एवं सुंदरीकरण का कार्य किया जा रहा है।