Mahakal Jyotirling: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने कई सुझाव दिए हैं। इसके परिपालन में मंदिर प्रबंध समिति द्वारा कई कदम भी उठाए गए हैं। भगवान महाकाल का प्रतिदिन आरओ जल से अभिषेक किया जा रहा है।
तड़के 4 बजे होने वाली भगवान महाकाल की भस्म आरती में ज्योतिर्लिंग पर कपड़ा ढंक कर 7 से 8 पीएच माप की भस्म अर्पित की जा रही है। रोज भस्म की पीएच वैल्यू की जांच भी हो रही है। इसका रिकार्ड भी दर्ज किया जा रहा है। हालांकि दिनभर होने वाले अभिषेक पूजन की ठीक से मानिटरिंग नहीं हो पा रही है। इस कारण क्षरण भी जारी है।
बता दें कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए सारिका गुरु ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआइ) और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) के विशेषज्ञों की समिति गठित की थी। एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य वर्ष 2019 से लगातार ज्योतिर्लिंग क्षरण की जांच कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए अनेक सुझाव दिए हैं। विशेषज्ञों की रिपोर्ट हर वर्ष सुप्रीम कोर्ट में पेश हो रही है।
ये हैं विशेषज्ञों के सुझाव
-भगवान महाकाल के अभिषेक के लिए सादे पानी की बजाय आरओ जल का उपयोग करना।
-भस्म आरती में ज्योतिर्लिंग पर कपड़ा ढंक कर भस्म अर्पित करना।
-भस्म की पीएच वैल्यू की जांच करना तथा निर्धारित मानक की भस्म चढ़ाना।
-भगवान महाकाल के पंचामृत अभिषेक में शकर की जगह खांडसारी का उपयोग करना।
-प्रतिदिन संध्या आरती में होने वाले भगवान महाकाल के श्रृंगार में भांग की मात्रा कम करना।
- भगवान के श्रृंगार में उपयोग होने वाले आभूषणों का वजन कम करना।
- पंचामृत की मात्रा समिति कर केवल सवा लीटर पंचामृत से भगवान का अभिषेक करना।
-भगवान महाकाल को भारी फूल माला व अधिक मात्रा में पुष्प अर्पित नहीं करना।
-गर्भगृह का तापमान नियंत्रित रखने के लिए एक समय में अधिक लोगों को भीतर प्रवेश नहीं देना।
- सूखी पूजा में भगवान को हर्बल गुलाल, कुमकुम आदि पूजन सामग्री अर्पित करना।
समिति ने उठाए यह कदम
-भगवान महाकाल के अभिषेक पूजन के लिए आरओ जल का उपयोग हो रहा है।
-पंचामृत में शकर की जगह खांडसारी का उपयोग किया जा रहा है।
-भस्म आरती में ज्योतिर्लिंग पर कपड़ा ढ़ककर भस्म अर्पित की जाती है।
-भस्म की पीएच वैल्यू 7 से 8 के बीच रहती है। इसका रिकार्ड दर्ज किया जा रहा है।
-संध्या आरती के समय भगवान के श्रृंगार में भांग की मात्रा को 7 किलो से घटाकर 3.5 कर दिया है।
-भगवान को अर्पित किए जा रहे चांदी के आभूषण का वजन 13 किलो से कम कर करीब 8 किलो कर दिया है।
-भगवान को आभूषण धारण कराने से पहले ज्योतिर्लिंग पर कपड़ा ढंका जा रहा है।
इस पर रोक नहीं लगा पा रही समिति
-सुबह से दोपहर 12.30 बजे तक सैकड़ो श्रद्धालु भगवान उन्हें स्पर्श करते हुए अभिषेक करते हैं।
-ज्यादा रसीद काटने के चक्कर में एक साथ अधिक लोगों को गर्भगृह में प्रवेश दिया जा रहा है।
-पूजन परंपरा से जुड़े लोग हाथों में अंगूठियां, कड़े, ब्रेसलेट पहनकर ज्योतिर्लिंग पर पंचामृत मलते हैं।
-पर्व, त्योहारों पर परंपरा के नाम पर सैकड़ों लीटर फलों का रस,पंचामृत तथा रंग गुलाल अर्पित किया जा रहा है।
-जलाभिषेक करने वाले भक्त हाथ में छोटे-छोटे लोटे लेकर भगवान को स्पर्श करते हैं, इससे भी घर्षण होता है।
-प्रतिदिन पांच आरती में अधिक मात्रा में पंचामृत का उपयोग हो रहा है। फलों का रस आदि भी चढ़ाया जा रहा है।
-वीआइपी, दानदाता आदि विशिष्ट लोगों को पूजन कराते समय अत्यधिक मात्रा में पंचामृत तथा कुमकुम, अबीर, गुलाल आदि पूजन सामग्री चढ़ाई जा रही है।
-भगवान का पांच आरती में अभिषेक किया जाता है। इन दिनों श्रृंगार में भांग के अतिरिक्त कुमकुम,अष्टगंध तथा मावे का भी उपयोग हो रहा है।
-भगवान को श्रृंगार में भारी-भारी फूल मालाएं पहनाई जा रही हैं।
मानिटरिंग कर रहे, जनभावना की भी ध्यान रख रहे
ज्योतिर्लिंग क्षरण को रोकने के लिए एक्सपर्ट कमेटी के कई सुझाव हैं। हम इस पर अमल कर रहे हैं। यह सत्य है कि क्षरण हुआ है। यह दिखता भी है। जनभावना है कि महाकाल भगवान को स्पर्श करें, जल चढ़ाएं, इसलिए हम नियमानुसार इसका भी ध्यान रख रहे हैं। श्रद्धालुओं की भावना, सुप्रीम कोर्ट के आदेश, विशेषज्ञों की राय आदि सभी बिंदु हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। इन्हें ध्यान में रखकर ही समेकित निर्णय लेंगे।
-कुमार पुरुषोत्तम, कलेक्टर व महाकाल मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष