उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर 22 अक्टूबर को नगर की सुख समृद्धि के लिए शासकीय पूजा होगी। चौबीस खंबा स्थित माता महामाया, महालया को मदिरा का भोग लगाकर नगर पूजा की शुरुआत की जाएगी। इसके बाद शासकीय अधिकारी व कोटवारों का दल ढोल ढमाकों के साथ नगर के 40 से अधिक देवी व भैरव मंदिर में पूजा अर्चना के लिए रवाना होगा। पुजारियों के अनुसार चुनाव आचार संहिता के कारण मदिरा प्रसाद के वितरण पर रोक हो सकती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार धर्मधानी उज्जैन में शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर नगर पूजा की परंपरा करीब ढाई हजार साल से चली आ रही है। मान्यता है उज्जैन के राजा सम्राट विक्रमादित्य अपने राज्य व नगर में खुशहाली व सुख समृद्धि के लिए महाअष्टमी पर नगर पूजा करवाते थे।
कालांतर में भी यह परंपरा जारी रही और अब शासन द्वारा यह पूजा करवाई जाती है। महाष्टमी पर सुबह 8 बजे पदेन कलेक्टर गुदरी चौराहा के समीप स्थित चौबीस खंबा माता मंदिर पहुंचते है तथा माता महामाया व महालया की पूजा अर्चना कर मदिरा का भोग लगाते हैं।
इसके बाद शासकीय कर्मचारियों का दल अन्य मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए रवाना होता है। रास्ते भर मदिरा की धार लगाई जाती है। साथ ही भजिए पूरी, गेहूं व चने की घुघरी (भीगे अंकुरित गेहूं चने) अर्पित की जाएगी। मान्यता है इससे अतृप्त आत्माओं को तृप्ति मिलती है।
रोज लग रहा मदिरा का भोग
शारदीय नवरात्र में माता महामाया व महालया को भक्त मदिरा का भोग लगा रहे हैं। पुजारी भक्तों द्वारा लाई गई मदिरा का भोग देवी को लगाते हैं।
हरसिद्धि में दोपहर 12 बजे होगी पूजा
शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में महाअष्टमी पर दोपहर 12 बजे शासकीय पूजा होगी। कलेक्टर सपत्निक माता हरसिद्धि को चुनरी, सौभाग्य सामग्री, फल, नैवेद्य आदि अर्पित कर पूजा अर्चना करेंगे। पुजारी राजेंद्र गिरी व लाल गिरी ने बताया हरसिद्धि मंदिर में सात्विक पूजा होती है। इसलिए प्रतिवर्ष महाअष्टमी पर कलेक्टर अलग से पूजा अर्चना करने आते हैं।