Bhairav Temples in Ujjain: उज्जैन। महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन अपने मंदिरों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां स्थित काल भैरव को भगवान महाकाल का सेनापति माना जाता है। देश-विदेश से भक्त यहां काल भैरव के दर्शन करने पहुंचते हैं। काल भैरव के साथ ही उज्जैन में भगवान भैरव के कई प्रमुख मंदिर हैं। आइए जानते हैं यहां स्थित भैरव मंदिरों को
श्री कालभैरव
भैरव को भगवान महाकाल का पांचवां अवतार और भैरवी (गिरिजा) को उनकी शक्ति माना गया है। भैरवावतार भगवान शंकर का ही रौद्र रूप है। वेदों में जिसे रुद्र कहा गया है, वहीं तंत्र में भैरव नाम से अभिहित है। महादेवजी के त्रिशूल की नोक पर स्थित काशी नगरी में उन्हें काशी का कोतवाल और उज्जयिनी में महाकाल का सेनापति कहा जाता है। दोनों ही मुख्य भैरव नगरियां मानी जाती है।
श्री दण्डपाणि भैरव
यह मंदिर शिप्रा तट के पास स्थित कालिदास उद्यान के मध्य भाग में स्थित है। करीब 450 वर्गफीट के चारों ओर 3 फीट ऊंची दीवारों तथा 12 फीट ऊंची छत तक चौतरफा लोहे के सरियों से अभिरक्षित कक्ष के मध्य स्थित केवल 20 वर्गफीट के गर्भगृह में भैरवजी की सिंदूरचर्चित मुण्डाकृति मूर्ति समतल भूमि पर पिण्डवत विराजित है।
शिप्रा तट स्थित श्री आनंद भैरव
श्री आनंद भैरव मंदिर शिप्रा नदी की पुरानी छोटी रपट (पुल) के बाईं ओर विभिन्न घाटों से होकर जाने वाले प्रसिद्ध रामघाट मार्ग पर ही बाईं ओर स्थित है। यह वर्तमान में एक शताब्दी पूर्व तक मल्लिकार्जुन कहे जानेवाले क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर स्थापत्य कला की दृष्टि से बाहर से तो अति प्राचीन नहीं दिखता है, किन्तु देव-प्रतिमा के दर्शन करने तथा प्रतिमा के दाएं और बाएं विद्यमान मूर्तियों एवं स्तंभों की अंशत: दृष्टव्य आकृतियों के आधार पर नि:संदिग्ध रूप से अति प्राचीन लगता है।
ओखलेश्वरवासी श्री विक्रांत भैरव
उज्जैन नगर से 5 किमी दूर भैरवगढ़ में शिप्रा नदी के पूर्वी तट पर एक अति प्राचीन चमत्कारी क्षेत्र है श्री विक्रांत भैरव मंदिर। यह कालभैरव मंदिर के सामने कुछ दूरी पर ओखलेश्वर श्मशान भूमि पर स्थित है। ओखलेश्वर श्मशान शिप्रा के दोनों तट तक फैला हुआ है।
श्री काला भैरव-गोरा भैरव मंदिर
ढाबा रोड़ मुख्य मार्ग पर गेबी हनुमान मंदिर की गली के सामने ही आपको भैरवजी के दो मंदिर दिखाई देंगे। इनमें दाईं ओर स्थित मंदिर में श्री काला भैरव की मूर्ति सड़क मार्ग से करीब 2 फीट ऊंचे गर्भगृह में टाइल्स जड़े फर्श पर स्थापित है। गर्भगृह में यह मूर्त्ति बाई ओर हटकर स्थापित है जबकि दाई ओर स्थान खाली पड़ा है। बाई ओर गोरा भैरव की प्रतिमा है। छोटा-सा यह मंदिर भी सड़क से करीब ड़ेढ़ फीट ऊंचा है। यह मूर्ति भी जागृत है।
चक्रपाणी भैरव, श्री बटुक भैरव
स्कन्द महापुराण में महादेवजी ने देवी पार्वती को अवन्ती क्षेत्र के अष्ट भैरवों के जो नाम बताए, उनमें पांचवें क्रम पर श्री बटुक भैरव का नाम गिनाया है। मंदिर शिप्रा नदी के तट पर स्थित उज्जैन शहर के एकमात्र प्रमुख श्मशान चक्रतीर्थ के ठीक पहले बाईं ओर ऊपर ही बना है जिसके द्वार से होकर दाईं ओर जाने पर कुछ सीढ़ियां उतरकर पूर्वाभिमुखी बटुक भैरव के मुण्डस्वरूप में बाल छवि के दर्शन होते हैं।
श्री महाभैरव : आताल-पाताल भैरव
स्कन्द महापुराण के अवन्ती-माहात्म्य-खण्ड में यह मंदिर सिंहपुरी में बताया है। इनका यह नाम इस माने में अर्थसिद्ध है क्योंकि इसकी मूल आकृति का आधा निचला भाग भूमिगत तथा ऊपरी आधा भाग ऊपर था। देवमूर्ति पिण्डात्मक एवं सिंदूरचर्चित है तथा महाभैरवजी का केवल मुण्ड ही दिखाई देता है। यह मंदिर अति प्राचीन होने से भगवान महाभैरव द्वारा भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण की जाती हैं।