Amrit Sarovar Yojana धीरज गोमे, उज्जैन। पानी की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा डेढ़ साल पहले शुरू की अमृत सरोवर योजना के सफल परिणाम अब सामने दिखाई देने लगे हैं। उज्जैन जिले के विभिन्न 94 गांव में बनाए 10-10 हजार क्यूबिक मीटर क्षमता के तालाबों में बरसात का लगभग 10 लाख क्यूबिक मीटर पानी एकत्र हो गया है। इतना पानी कि शीतकाल में आसपास के किसान इससे न केवल अपने खेत सींच पाएंगे, बल्कि पशुओं को पिला भी पाएंगे।
गौरतलब है कि रहे कि इस वर्ष गंभीर जलाशय और उंडासा तालाब को भी खोदकर गहरा किया था। विलुप्त हो चुकी क्षिप्रा नदी की सहायक चंद्रभागा नदी को पुनजीर्वित किया था। इस वर्ष बारिश औसत 906 मिलीमीटर की तुलना में 923 मिलीमीटर हुई है। वहीं इन सब स्थितियों में भूमिगत जल स्तर में भी सुधार आएगा। प्रबुद्धजनों का कहना है कि ये सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास से ही संभव हुआ है।
मालूम हो कि पानी की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य दिया था। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रख हर जिले को लक्ष्य बढ़ाकर दिया था।
उज्जैन जिले को 100 सरोवर बनाने का लक्ष्य मिला था, जिसके बाद 96 का निर्माण शुरू हुआ और पिछले माह तक 94 गांवों में अमृत सरोवर बना लिए गए हैं। बारिश के बाद ये सभी सरोवर अभी पानी से लबालब भरे हैं। दो गांव में तालाबों का निर्माण अधूरा है। प्रत्येक सरोवर के निर्माण पर 10 से 12 लाख रुपये खर्च होना थे, मगर इतनी राशि कुछ ही सरोवर के निर्माण पर खर्च की। ज्यादातर का निर्माण चार-पांच लाख रुपए खर्च कर किया गया। तालाब किनारे पत्थर की पिचिंग करने काम नहीं किया।
जिला पंचायत का पूरा ध्यान अमृत सरावरों की संख्या पर रहा है, उनकी गुणवत्ता पर नहीं। ऐसा कहना इसलिए लाज्मी है क्योंकि ज्यादातार सरोवर के किनारे पत्थरों का पिचिंग कार्य और सरोवर भराने पर पानी निकासी के लिए वेस्ट वेयर का निर्माण नहीं हुआ है। इस स्थिति में बरसात के पानी से किनारे की मिट्टी कटकर गड्ढे में भराने की संभावना है। तब लोगों संग पशुओं का किनारे से गुजरना या खड़े रहना भी खतरनाक होगा। ग्रामीणों का कहना है कि जिला पंचायत के वरिष्ठ अधिकारी तो कभी तालाबाें को झांकने तक नहीं आए। ऐसे में ये कितने माह जीवित रहेंगे और कितनी इनकी उपयोगिता सिद्ध होगी ये कहना अभी मुश्किल है।
उज्जैन शहर की जल आपूर्ति का मुख्य केंद्र गंभीर बांध लबालब भरा है। बांध के जल संग्रहण क्षेत्र में 2250 मिलियन क्यूबिक फीट (एमसीएफटी) पानी है। इतना की दैनिक जरूरत 8 एमसीएफटी के हिसाब से 210 दिन शहर में नियमित प्रदाय किया जा सकता है। लेकिन यह तभी मुमकिन है जब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पानी की चोरी रोकने में सफल हो पाए। जल संसाधन विभाग के अनुसार उंडासा, साहिबखेड़ी सहित जिले के परंपरागत 52 तालाबों में भी पर्याप्त पानी है।