Vikram University धीरज गोमे उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में इस वर्ष भी नए विद्यार्थी की प्रवेश संख्या कम है। 30 प्रतिशत से ज्यादा सीटों का खाली होना इस बात का प्रमाण है। चिंता की बात ये है कि कुछ पाठ्यक्रम पढ़ने को पांच विद्यार्थी भी नहीं मिले हैं। विवि प्रशासन ने एक बार फिर प्रवेश की तारीख बढ़ाई है। सवाल उठ रहे हैं कि साल के कीमती 12 में से 4 महीने तो विद्यार्थियों काे शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश देने में ही गुजारे जा रहे हैं।
उच्च शिक्षा विभाग ने अपने महाविद्यालयों और विक्रम विश्वविद्यालय ने अपनी अध्ययनशालाओं में विद्यार्थियों काे प्रवेश देने की कार्रवाई मई माह में शुरू कर दी थी। तब कहा गया था कि 1 जुलाई से नवीन शिक्षा सत्र के साथ कक्षाओं का नियमित संचालन होगा। प्रवेश के कुल चार चरण होंगे। 9 अगस्त तक प्रवेश की समस्त प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी। मगर ऐसा न हो सका।
विभाग और विश्वविद्यालय ने सीटों के बराबर विद्यार्थी न मिलने पर हर 15 दिन में प्रवेश की तारीख बढ़ाई। अब विभाग ने सातवां चरण में प्रवेश की तारीख एक बार फिर 12 सितंबर से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी है। इसका मतलब है कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए विद्यार्थी 16 सितंबर तक पंजीयन करा सकेंगे। इसके बाद च्वाइस फिलिंग, सीट आवंटन, फीस जमा कर प्रवेश सुनिश्चित करने की समस्त प्रक्रिया 30 सितंबर तक की जा सकेगी।
विद्यार्थियों का मानना है कि प्रवेश देने, परीक्षा कराने और परीक्षा परिणाम जारी करने का समय निर्धारित होना चाहिए। शासन-प्रशासन करता भी है मगर टाइम टेबल में बार-बार बदलाव करना विद्यार्थियों के करियर के हिसाब से ठीक नहीं है।
विक्रम विश्वविद्यालय इस साल पीएचडी प्रवेश परीक्षा तक नहीं करा पाया है। जबकि गत वर्ष परंपरानुसार मार्च माह में ही करवा ली थी। दावा किया जा रहा है कि इस बार परीक्षा पोर्टल के माध्यम से आनलाइन कराई जाएगी। मगर, कब इसका जवाब नहीं दिया जा रहा है।