Aditya L1 Solar Mission : आदित्य एल1 बनाने में उज्जैन के आफाक ने निभाई अहम भूमिका
Aditya L1 Solar Mission : चार वर्ष की मेहनत के बाद वर्ष 2020 में बना दिया था आदित्य एल-वन।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Sun, 03 Sep 2023 09:54:31 AM (IST)
Updated Date: Sun, 03 Sep 2023 09:58:52 AM (IST)
HighLights
- वर्ष 2016 में पुणे में स्थित आयुका (एक रिसर्च सेंटर) में आदित्य एल1 को डिजाइन करने का काम शुरू किया गया था।
- करीब चार वर्षों की मेहनत के बाद वर्ष 2020 में यह डिवाइस तैयार हो गया था।
- आदित्य एल1 के डिजाइनिंग टीम में 32 सदस्य शामिल थे। इसमें आफाक प्रमुख रहे।
Aditya L1 Solar Mission : उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। आफाक यानी क्षितिज, नाम के अनुरूप काम भी। शनिवार को सूर्य की ओर भेजे गए आदित्य एल1 को डिजाइन करने वाली टीम में उज्जैन के डा. आफाक रजा भी शामिल हैं।
करीब वर्ष 2016 में पुणे में स्थित आयुका (एक रिसर्च सेंटर) में आदित्य एल1 को डिजाइन करने का काम शुरू किया गया था। करीब चार वर्षों की मेहनत के बाद वर्ष 2020 में यह डिवाइस तैयार हो गया था। आदित्य एल1 के डिजाइनिंग टीम में 32 सदस्य शामिल थे। इसमें आफाक प्रमुख रहे। इस बीच अन्य मिशन को भी पूरा करना था, इस वजह से इसे लांच करने में समय लगा।
बचपन से ही अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रही
डा. आफाक रजा खान के पिता आरयू खान ने बताया कि आफाक का बचपन से ही अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रही है। बचपन से वराहमिहिर शोध संस्थान से भी जुड़कर काम किया। आफाक इस समय अमेरिका में हैं और नासा की ओर से अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित पीएचडी कर रहा है।
नासा की ओर से पूरे विश्व से 20 बच्चे पीएचडी के लिए चयनित किए गए थे। इसमें उज्जैन के आफाक का भी चयन किया गया। इसके लिए नासा ने आफाक को 1.7 करोड़ की छात्रवृत्ति भी प्रदान की। इस समय नासा में ऐसे टेलीस्कोप पर यह रिसर्च चल रही है कि इसे और बेहतर कैसे बनाया जा सके। साथ ही एक्स रे पर भी शोध जारी है।
2016 में शुरू हुआ काम
आदित्य एल1 के विषय में खान ने बताया कि वर्ष 2016 में सूरज के प्रकाश के मुख्य स्रोत, सूरज की किरणों से मौसम पर पड़ने वाले प्रभाव आदि का पता लगाने के लिए आदित्य एल1 का डिजाइन करने का काम शुरू किया गया। वर्ष 2020 में यह काम पूर्ण हो चुका था। बाद में कोरोना व अन्य मिशन के भी पूरा करने के कारण इसकी लांचिंग में विलंब हुआ। आदित्य के माध्यम से यदि सूर्य के प्रकाश का मुख्य स्रोत का पता चलता है तो हम धरती पर भी बिजली की कमी को पूरा कर सकेंगे।