बल्देवगढ़। नईदुनिया न्यूज
बल्देवगढ़ से मात्र 6 किमी दूर स्थित भेलसी बुंदेलखंड की वसुंधरा के तीर्थ के मध्य जिला अन्तर्गत स्थापत्य कला सामग्री, पाषण मठ एवं प्राचीन मूर्तियों के लिए विख्यात है। यहां कई स्थल ऐसे हैं, जहां मठ अथवा मंदिरों का अस्तित्व रहा है और वे काल क्रम में विलीन हो चुके हैं। प्राचीन वैभव में जैन संस्कृति के अमरदीप भगवान शांतिनाथ, भगवान कुंथनाथ और भगवान अरहनाथ अति प्राचीन जिनबिंवों के रूप में मंदिर में विराजमान है। इनका अतिशय परिलक्षित होता रहता है। देशी पाषाण से निर्मित यह प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर बुंदेलखंड के उन प्राचीन मंदिरों में से एक है, जहां प्राचीन मूर्तियां खडगासन मुद्रा में विराजमान है। ये प्रतिमाएं दक्षिण मुखी हैं, जो अपने आप में एक विशेषता है। ये प्राचीन होने के साथ-साथ मनोरथ पूर्ण करने वाली है। वर्धमान पुराण भगवान और उनका तत्व दर्शन सन् 1766 में रचित ग्रंथ के रचयिता महाकवि नवल शाह के पूवर्जों भीषमशाह आदि के परिवारजनों द्वारा उत्साहपूर्वक इन मूर्तियों को प्रतिष्ठा माघसुदी दशमीं सं 1669 सन् 1634 में की गई थी।
उल्लेखनीय है कि भगवान महावीर और तत्व दर्शन नामक ग्रंथ आचार्य देश भूषण महाराज के मार्गदर्शन दिल्ली में पुनर्मद्रण कराया गया है। इस ग्रंथ में भेलसी नगर एवं कविवर नवल शाह की वंशावली का वर्णन है। इस ग्रंथ में जैन दर्शन का सार भरा है, अतिशय क्षेत्र बजरंग शीर्षक से रामजीत जैन एडवोकेट ग्वालियर द्वारा प्रकाशित पुस्तिका सत् 1999 के पृष्ठ क्रमांक 21 पर उल्लेखित है कि भेलसी में छठवीं सदीं के जिन मंदिर हैं, जहां तीर्थंकर त्रय की विशाल प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं। अति प्राचीन होने से मंदिर की क्षरण परिलक्षित होने लगा है। भेलसी के निकटवर्ती ग्राम देवरदा में खेत से प्राप्त भगवान आदिनाथ की मनोज्ञ प्रतिमा लाकर दिगंबर जैन प्राचीन शांति नाथ मंदिर भेलसी में प्रतिष्ठित की गई। इनके अतिशय से यहां 26 अप्रैल 2008 से 1 मई 2008 तक पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन आचार्य विभव सागर महाराज के सानिध्य में किया गया था, भगवान आदिनाथ भरत बाहुबली एवं पारसनाथ भगवान की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित की गई है।
मंदिर में होंगे चार जिनविंब विराजमान
स्थानीय सकल दिगंबर जैन समाज द्वारा क्षेत्र पर ऐतिहासिक 48 दिवसीय अखंड भक्तामर पाठ का आयोजन 28 मार्च 2010 महावीर जयंती से 15 मई 2010 तक निर्विघ्न संपन्न हुआ, जो अभूतपूर्व है। मंदिर प्रांगण में भव्य नव निर्मित मान स्तंभ जिसमें चौबीसवें तीर्थ कंर जिनविम्ब विराजमान होना हैं और उसमें चार जिनविम्ब उसके उपर विराजमान होना है, जो की आगामी समय में आचार्य विनिश्चय सागर महाराज के सानिध्य में होना सुनिश्चित है।
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शांतिनाथ दिगंबर जैन दक्षिणमुखी जैन मंदिर, नवनिर्मित भव्य मान स्तंभ, श्रीचन्द्रप्रभु भगवान