Tiger in Shivpuri: शिवपुरी नईदुनिया प्रतिनिधि। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को दो बाघों को माधव राष्ट्रीय उद्यान के बलारपुर रेंज में बने बाड़ों में छोड़ा। 27 साल बाद आए इस अवसर के लिए बांधवगढ़ से एक मादा बाघ और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से एक नर बाघ यहां लाया गया था।
पहले से प्रस्तावित तीन बाघों में एक बाघ पन्ना टाइगर रिजर्व से यहां नहीं लाया जा सका। मुख्यमंत्री ने इस दौरान बाघ मित्रों से संवाद करते हुए कहा कि बाघों के कारण यहां टूरिस्ट आएंगे तो कई तरह से रोजगार बढ़ेगा। मुख्यमंत्री ने इसके लिए बाघ प्रोजेक्ट की घोषणा भी की। इसमें बाघों के जरिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।
माधव नेशनल पार्क में अंतिम बाघों का जोड़ा 1995 में देखा गया था, बाद में टाइगर सफारी बंद होने से इनको अन्य नेशनल पार्क में भेज दिया गया। लगभग ढाई दशक से ज्यादा समय बीतने के बाद यहां बाघों को दोबारा पुनर्स्थापित किया गया है।
इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाघ मित्रों के साथ संवाद में कहा कि बाघों से ईकोसिस्टम बना रहेगा। संतुलन के लिए सब जरूरी है। थोड़े दिन बाद पर्यटकों को अनुमति दे दी जाएगी तो बड़ी संख्या में यहां पर्यटक आएंगे। बाघों से शिवपुरी का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाएगा।
इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, वन मंत्री विजय शाह, खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया, सांसद केपी यादव आदि भी वहां मौजूद रहे। अधिकारियों के अनुसार अभी बाघों को भैंस का मांस भोजन के रूप में दिया जाएगा। यदि सब कुछ ठीक रहा तो 15 दिन में बाड़े के गेट खोलकर इसी क्षेत्र में इन्हें छोड़ दिया जाएगा।
घायल अवस्था में मिली पन्ना की बाघिन, आने की तिथि तय नहीं
पन्ना टाइगर रिजर्व की स्वस्थ बाघिन को माधव नेशनल पार्क पहुंचाया जाना था, लेकिन पार्क प्रबंधन की लापरवाही से तीन माह पहले की कवायद आज तक पूरी नहीं हो सकी। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्रीय संचालक बृजेंद्र झा के अनुसार जिस बाघिन को भेजना था वह गुरुवार को ट्रेस नहीं हुई। इसके बाद शुक्रवार सुबह उसे ढूंढ लिया गया, लेकिन वह घायल अवस्था में मिली जिसके कारण उसे भेजा नहीं जा सका।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दो बाघों को माधव राष्ट्रीय उद्यान के बलारपुर रेंज में बने बाड़ों में छोड़ा।#madhavnationalpark #shivpuri #Tiger #cmshivarjsinghchouhan #JyotiradityaScindia pic.twitter.com/sORp8tfKt5
— NaiDunia (@Nai_Dunia) March 10, 2023
राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों के अनुसार बाघों को करीब 15 दिनों तक चार हेक्टेयर में बने इन तीन बाड़ों में रखा जाएगा। यदि सब कुछ ठीक रहा तो 15 दिन में बाड़े के गेट खोलकर इसी क्षेत्र में इन्हें छोड़ दिया जाएगा। यहीं से पार्क प्रबंधन की असल चुनौती शुरू होगी। बाड़े महज 4 हेक्टेयर के क्षेत्र में निगरानी के लिए छह मचान बने हैं और कैमरा भी मौजूद रहेंगे। यहां छोटे क्षेत्र में निगरानी रखना आसान होगा, लेकिन 15 दिन बाद जब बाघों को स्वच्छंद विचरण के लिए छोड़ दिया जाएगा तब इनकी निगरानी चुनौती होगी। रेडियो कालर के जरिए मिलने वाले सिग्नल निगरानी रखने के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल होंगे। इसके बाद करीब एक से दो महीने इंतजार करना होगा कि बाघ अपनी टेरेटरी कहां पर बनाते हैं।
11 माउंटेड वाहनों के साथ 90 वायरलेस सेट मंगवाए गए हैं। इनके जरिए टाइगर के हर मूवमेंट का कम्युनिकेशन किया जाएगा और वायरलेस पर टाइगर की लोकेशन के संबंध में संदेश गूंजते सुनाई देंगे। 18 स्टाफ को खास ट्रेनिंग दी गई है। इसके अलावा एक रेस्क्यू वाहन, एक डाग स्क्वायड और उदनदस्ता सुरक्षा के लिए रहेगा। मानीटरिंग के लिए एक वनरक्षक, एक वाहन चालक और एक श्रमिक की टभ्म गठित की गई है जो वाहन में उपलब्ध रहकर 24 घंटे ट्रैकिंग का काम करेंगे। इस तरह की कुल छह टीमें बनाई गई हैं।
बाड़े में आगे की ओर 20 बाय 20 मीटर का बाक्स बनाया गया है जिसमें स्लाइडिंग गेट रखे गए हैं जिन्हें बाड़े के बाहर से संचालित किया जा सकेगा। इस बाक्स का आकार छोटा होने से एक तरह से यह टाइगर की एक्टिविटी, फीडिंग, ट्रीटमेंट आदि में बारीकी से अध्ययन करने के लिए आइसीयू का काम करेगा।
तीनों बाड़ों को आपस में जोड़ने के लिए 12 बाय 12 फीट के दो बड़े गेट का निर्माण किया गया है। टाइगर की चिकित्सा सुविधा के लिए प्रशिक्षित सहायक शल्यज्ञ चिकित्सक की तैनाती रहेगी। उन्हें ट्रेंकुलाइजिंग ड्रग और गन उपलब्ध कराई गई है। खिन्नीनाका कैंपस में एक कंट्रोल रूम स्थापित कर यहां स्टाफ तैनात किया गया है।
माधव राष्ट्रीय उद्यान में टाइगरों को फिर से बसाने की कवायद वर्ष 2006 में ही शुरू हो गई थी। हालांकि फिर योजना ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद वर्ष 2021 में एक बार फिर गंभीर रूप से प्रयास शुरू किए गए जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महानआर्यमन का भी अहम योगदान रहा। पूर्व में दिसंबर 2022 तक टाइगर लाए जाने की टाइम लाइन निर्धारित की गई थी। इसके बाद 15 जनवरी और फिर आगे बढ़ते-बढ़ते तिथि 4 मार्च तय हुई। 4 मार्च काे टाइगर लाए जाने की तैयारियां हो गईं थीं, लेकिन फिर से तिथि को बढ़ाकर 10 मार्च कर दिया गया क्योंकि यह तारीख ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए काफी अहम है।
10 मार्च को उनके पिता माधवराव सिंधिया की जयंती मनाई जाती है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1989 में माधवराव सिंधिया के प्रयासाें से ही बाघविहीन हो चुके माधव राष्ट्रीय उद्यान में टाइगर सफारी शुरू की गई थी जो वर्ष 1995-96 तक चली। लेकिन एक मादा बाघ के नरभक्षी हो जाने के बाद उसे बंद कर दिया गया था। अब 27 साल बाद माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य ने माधव राष्ट्रीय उद्यान बाघों को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया है।
बाघ छोड़ने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित अन्य नेता दो बत्ती तिराहे पर माधवराव सिंधिया की प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाने के लिए पहुंचे। इस दौरान खेल मंत्री और माधवराव सिंधिया की बहन यशोधरा राजे सिंधिया साथ में नहीं पहुंची। उनकी अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी।