शिवपुरी। नईदुनिया प्रतिनिधि
सिंध जलावर्धन योजना की खामियों पर अब प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान की नजर भी पड़ चुकी है। मंगलवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक में उन्होंने शिवपुरी में जलप्रदाय में आ रहे परेशानियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने सिंध जलावर्धन योजना में हुई देरी और इसके जिम्मेदारों की जांच करने की बात भी कही। सिंध जलावर्धन योजना शिवपुरी के लिए सफेद हाथी बन चुकी है, क्योंकि 11 साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी यह अब तक पूरी नहीं हो पाई है। इसकी लागत भी 58 करोड़ रुपये से बढ़कर 150 करोड़ रुपये तक जा पहुंची है, लेकिन अब भी शिवपुरीवासियों के कंठ प्यासे ही हैं। करोड़ों रुपये लगाकर अभी शहर में चंद हजार कनेक्शन ही इस योजना के तहत दिए जा सके हैं।
मंगलवार को जो आंकड़े शिवपुरी प्रशासन की ओर से प्रस्तुत किए गए वे भी सवालों के घेरे में आ रहे हैं क्योंकि इनके अनुसार शहर में जल संकट है ही नहीं। शहर में 32.55 एमएलडी पानी की जरूरत होती है। माधव झील, भूजल स्त्रोत और सिंध मिलाकर 32 एमएलडी तक पानी सप्लाई किया जा रहा है। इसके बाद भी शहर की जनता पानी के लिए परेशान हो रही है।
कहां जा रहा हर दिन 22 एमएलडी पानी
सिंध जलावर्धन योजना के तहत हर दिन 20 से 22 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है। इससे 19 टंकियां जुड़ी हुई हैं, लेकिन अभी तक सभी टंकियों से शहर में दिए जाने वाले कनेक्शनों की डिस्ट्रीब्यूशन लाइन ही नहीं जोड़ी गई है। कुछ मात्रा में पानी संपवेल पर भी दिया जा रहा है। ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि आखिर हर दिन 22 एमएलडी पानी की खपत कहां और कैसे हो रही है। अधिकारियों का कहना है कि इससे टैंकर भी भरे जाते हैं। एक टैंकर की क्षमता साढ़े तीन हजार लीटर तक ही होती है। दो करोड़ लीटर पानी इनमें प्रतिदिन भरना संभव नहीं है। ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि आला अधिकारियों को गुमराह करने के लिए गलत आंकड़े तो नहीं दिए गए।
दोशियान हुई ब्लैक लिस्टेड, उसी के मैनेजर के पास दोबारा ठेका
सिंध जलावर्धन परियोजना दोशियान कंपनी को सौंपी गई थी। दोशियान कंपनी का काम और उस दौरान हुआ भ्रष्टाचार लगातार सुर्खियों में रहा। दोशियान ने शुरुआत दौर में ही एक साथ जीआरसी पाइपों की खेप खपा दी, जो कंपनी ने स्वयं बनाए थे। इन पाइपों का तत्कालीन नपाध्यक्ष और सीएमओ ने भुगतान भी कर दिया। दोशियान के कामों की जांच के लिए गठित समिति के सदस्य एवं जल संसाधन विभाग के रिटायर कार्यपालन यंत्री आरएनसिंह ने बिछाए गए पाइपों का प्रैशर जांचने (हाइड्रो टेस्टिंग) के बारे में खुलासा किया कि लाइप बिछाने के बाद प्रैशर की रिपोर्ट ही शामिल नहीं की गई। दोशियान ने जीआरपी पाइप डाले थे, वे गुणवत्तीविहीन थे। इसके बाद दोशियान को ब्लैक लिस्टेड कर ओम कंस्ट्रक्शन को काम दिया गया। इस कंपनी ने जीआरसी की जगह एमएस पाइप डाले। मजे की बात यह है कि सिंध में भ्रष्टाचार के लिए जो दोशियान जिम्मेदार थी उसी के मैनेजर महेश मिश्रा की कंपनी ओम कंस्ट्रक्शन को दोबारा काम दिया गया।
थीम रोड और सीवर प्रोजेक्ट बने मुसीबत
मड़ीखेड़ा से शिवपुरी तक डिस्ट्रीब्यूशन संभाल रही ओम कंस्ट्रक्शन के संचालक महेश मिश्रा का कहना है कि बार-बार लाइन फूटने का सप्लाई बाधित हो रही है। सीवर प्रोजेक्ट तो कभी थीम रोड निर्माण के लिए सिंध की डिस्ट्रीब्यूशन लाइन को फोड़ देते हैं। इसे सुधारने में चार से पांच दिन का समय लगता है। सतनवाड़ा क्षेत्र में लोग पाइप लाइन में होल कर पानी निकाल रहे हैं और सिंचाई कर रहे हैं। इसकी शिकायत नगर पालिका को कई बार की जा चुकी है, लेकिन जिम्मेदार कुछ भी करने से हाथ खींच लेते हैं। अभी बिजली के पोलों की शिफ्टिंग में भी कई बार लाइन फोड़ी गई।