धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल (Vijaypur Assembly By Poll Result)। मध्य प्रदेश में दो सीटों पर उपचुनाव के परिणाम से भले ही दोनों पार्टियों की दलीय स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन विजयपुर (Vijaypur) सीट पर हार ने वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत के राजनीतिक भविष्य पर फिलहाल विराम लगा दिया है। उन्हें डेढ़ महीने के भीतर मंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है।
जातिगत समीकरणों में बंटे विजयपुर सीट के उपचुनाव में आदिवासी मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ दिया। खासतौर से सहरिया आदिवासी प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा को चुनाव में उतारने से यहां का चुनाव आदिवासी बनाम ओबीसी में बदल गया था।
(कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा और भाजपा के रामनिवास रावत)
विजयपुर से भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत कांग्रेस छोड़कर आए थे, लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र का मूल चरित्र भी कांग्रेस से ही जुड़ा रहा है। रामनिवास यहां से छह बार कांग्रेस के टिकट पर ही चुने गए। वह ओबीसी वर्ग से आते हैं, इसलिए पहले के चुनाव में भाजपा यहां आदिवासी प्रत्याशी खड़ा करती रही है। भाजपा के सीताराम आदिवासी एक बार इस सीट पर चुनाव जीत भी चुके हैं।
इस बार कांग्रेस ने भाजपा की रणनीति अपना ली। कांग्रेस ने आदिवासी नेता मुकेश मल्होत्रा पर दांव लगाया। मुकेश मल्होत्रा पिछले चुनाव में निर्दलीय खड़े हुए थे और तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार कांग्रेस ने चुनाव को आदिवासी बनाम ओबीसी का रंग दे दिया।
आदिवासियों में भी पिछड़ी जनजाति सहरिया वर्ग का यहां वर्चस्व है। इस क्षेत्र में 60 हजार आदिवासी मतदाता हैं। जिस तरफ ये मतदाता करवट लेते हैं, परिणाम उसी के पक्ष में आता है। इस बार भी भाजपा ने आदिवासियों को मनाने के लिए कई जतन किए, लेकिन कोई काम नहीं आए।
पहले से सहरिया और भारिया महिलाओं को पोषण भत्ते के रूप में एक हजार रुपये दिए जा रहे थे और अब उन्हें लाड़ली बहना की राशि अलग से दी जा रही है।
इधर, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पराजय झेल चुकी कांग्रेस आरंभ से ही विजयपुर उपचुनाव को संजीवनी मानकर चल रही थी। कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा के समर्थन में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ रोड शो किया।