श्योपुर, नईदुनिया। कूनो-पालपुर के अभयारण्य में अफ्रीका से चीतों को लाने से पहले देहरादून से आई तीन सदस्यीय टाइगर एक्सपर्ट टीम शुक्रवार को जंगलों में घूमकर स्थिति का जायजा लिया। टीम को प्रारंभिक रूप से कूनो के जंगल चीतों के लिए अनुकूल लगे हैं। टीम के मुताबिक मौसम व जगह उपयुक्त है। डेढ़ माह में देहरादून से 10 से 15 सदस्यीय टीम आएगी। यह टीम भी कूनो-पालपुर का निरीक्षण कर जायजा लेगी। दूसरी टीम डिटेल में जानकारी एकत्रित कर चीतों के लिए और क्या जरूरी है, उसकी जानकारी जुटाकर वनविभाग को मुहैया कराएगी।
यहां बता दें, कि सुप्रीम कोर्ट से दक्षिण अफ्रीका से चीतों का लाने की अनुमति मिलने के बाद से ही शासन ने चीतों को शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी है। वन विभाग को श्योपुर जिले में कूनो-पालपुर के जंगलों में संभावना दिखाई दी। कूनो अभयारण्य में चीतों के अनुकूल के लिए जगहों में चीतल, काला हिरण बड़ी संख्या में हैं।
टीम ने अभयारण्य में कई जगह घूमकर देखी
शुक्रवार सुबह से लेकर रात 9 बजे तक भारतीय प्राणी संस्थान देहरादूर के डीन व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वाईवी झाला ने 2 अन्य सदस्यों के साथ कूनो-पालपुर में भ्रमण किया। कूनो अभयारण्य के डीएफओ पीके वर्मा के मुताबिक कूनो के जंगल में चीतों के लिए टीम को आइडियल साइड दिखाई दी। टीम ने बताया कि यहां चीतों के लिए पर्याप्त जगह, उपयुक्त मौसम, पानी व भोजन की पर्याप्त व्यवस्था है। कूनो-पालपुर अभयारण्य में 750 वर्ग किमी जमीन लगी हुई है जो काफी है।
कूनों में चीतल, चिंकारा के साथ घास वाले मैदान अच्छे
कूनो- अभयारण्य के डीएफओ के मुताबिक कूनो-पालपुर में चीतों के शिकार के लिए चीतल, चिंकारा, काला हिरण काफी मात्रा में हैं। वहीं चीतों के लिए घास के मैदान भी बहुत अच्छे हैं। जिससे चीते सर्वाइस कर सकेंगे।
चीतों के लिए क्या बदलाव करें बताने आएगी सर्वे टीम
कूनो-पालपुर में आइडियल साइड मिलने के बाद टीम के सदस्यों ने बताया कि डिटेल जांच के लिए करीब डेढ़ माह के अंदर देहरादूर से 10 से 15 सदस्यों की टीम आकर डिटेल सर्वे करेगी। चीतों के लिए क्या-क्या उपयुक्त है, यहां क्या उपलब्ध है और क्या सुधार किया जा सकता है। इसके लिए डिटेल किया जाएगा। कूनो-पालपुर के जंगलों को चीतों के लिए और बेहतर बनाने का प्रयास किया जाएगा।
कूनो-पालपुर अभयारण्य में स्थितियों का जायजा लेने के लिए देहरादूर से टीम आई थी। निरीक्षण के बाद टीम को कूनो में कुछ जगह अच्छी लगी हैं। जहां चीतों को बसाया जा सकता है। उन्होंने डेढ़ माह में बड़ी टीम भेजकर कूनो की डिटेल रिपोर्ट तैयार कराने की बात कही है। उम्मीद है, कि कूनो में जल्द ही चीते छलांग भरते दिखाई देंगे। - पीके वर्मा, डीएफओ कूनो अभयारण्य