Sheopur News: हरिओम गौड, श्योपुर। मंदिर बनवाने के लिए रुपए से लेकर ईंट, पत्थर, सीमेंट, रेत और सरिया तक का चंदा करते हैं। विधायक-सांसदों की निधि से लाखों रुपए की मदद लेते हैं, लेकिन श्योपुर जिले के जैनी गांव के प्रसिद्ध क्षेत्रपाल बाबा का मंदिर अनोखे चंदे से बन रहा है। यहां फसल होने के बाद जो भूसा बचता है उसे गांव कि किसान एकत्रित कर बेच देते हैं और भूले से जो भी पैसा आता है उसे मंदिर निर्माण के लिए दे देते हैं। 13 साल में ग्रामीणों ने 1 करोड़ 5 लाख 97 हजार रुपए का भूसा बेचा है और यह पूरी राशि मंदिर के निर्माण पर खर्च हुई है।
नतीजा, एक दशक पहले तक क्षेत्रपाल बाबा का जो मंदिर एक छोटी सी छत्री में था वहां विशाल मंदिर बन चुका है। क्षेत्रपाल बाबा की मूर्तियों के ऊपर 80 फीट ऊंचा विशाल शिखर बनाया गया है। मंदिर निर्माण का यह काम लगातार चल रहा है। हाल ही में जैनी गांव के किसानों ने 3 लाख 20 हजार रुपए का भूसा बेचा है। इस काम के लिए मंदिर की एक समिति है जिसमें 40 लोग सदस्य हैं। ये सदस्य हर साल भूसे को नीलामी से बिकवाते हैं।
हर रविवार को लगती है जात : अभी लॉकडाउन के कारण क्षेत्रपाल बाबा मंदिर पर श्रद्धालुओं का आना-जाना काफी कम हो गया है, लेकिन हर रविवार को यहां विशाल जात भर्ती है। मानपुर क्षेत्र से लेकर श्योपुर, बड़ौदा से लेकर राजस्थान के कई क्षेत्रों से भक्त यहां दर्शनों के लिए आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर पर जो भी मन्नत मांगता है उसकी इच्छा क्षेत्रपाल बाबा पूरी करते हैं। ग्रामीणों के अनुसार जिस भूसे को मंदिर के लिए इकट्ठा कर नीलाम किया जाता है उसे गांव के मवेशियों तक को नहीं खिलाया जाता है।
सालों से चल रही परंपरा का ईमानदारी कर रहे हैं पालन
श्री क्षेत्रपाल बाबा मंदिर समिति के अध्यक्ष रामचरण मीणा का कहना है भूसे की राशि से मंदिर निर्माण कार्य की परंपरा लगभग 12 साल से जारी है। इस भूसे को मवेशियों को भी नहीं खिलाया जाता है। मंदिर निर्माण को लेकर सभी ग्रामीण गंभीर है और वे ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी का पालन कर रहे हैं।