- बड़ौदा अस्पताल से बिना इलाज लौटाया, श्योपुर लाते रास्ते में हुई मौत।
बड़ौदा। नईदुनिया न्यूज
कोरोना वायरस से कई डॉक्टर तो ऐसे डरे हुए हैं कि मरीजों को हाथ तक नहीं लगा रहे। ऐसा ही एक मामला शुक्रवार को बड़ौदा में सामने आया जहां, एक बीमार महिला को हाथ लगाए बिना उसे सही बताते हुए डॉक्टर ने अस्पताल से लौटा दिया। बड़ौदा अस्पताल से लौटाकर जब उसी महिला को श्योपुर ले जाया गया, जहां रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
बड़ौदा किले के पास रहने वाली मनोरना (55) पत्नी मोहन सिंह सत्तावर की तबियत शुक्रवार को खराब हो गई। बताया गया है कि मनोरना सत्तावर घर में गेहूं की पिसाई के लिए साफ कर रही थीं, तभी अचानक उन्हें घबराहट होने लगी। परिजन तत्काल अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टर आरके शाक्य मौजूद थे। मनोरमा के पति मोहन सिंह का कहना है कि डॉ. शाक्य ने उनकी बीमार पत्नी की नब्ज तक नहीं देखी। दूर से ही देखकर कुछ दवा लिखीं और कंपाउंडर से एक इंजेक्शन लिखकर अस्पताल छोड़कर अपने आवास पर चले गए। बकौल मोहन सिंह उन्होंने डॉ. शाक्य से यह भी पूछा कि, जरूरत हो तो कहीं दूसरी जगह रेफर कराकर ले जाएं, लेकिन डॉक्टर ने ऐसी गंभीर हालत नहीं बताई। इसके बाद वह अपनी पत्नी को घर ले आए, लेकिन इंजेक्शन व दवाओं से राहत नहीं मिली। तबियत ज्यादा बिगड़ी तो वह पत्नी को लेकर जिला अस्पताल लेकर आए, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले रास्ते में ही मनोरमा सत्तावर ने दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद बड़ौदा कस्बे में अस्पताल की सेवाओं को लेकर रोष बढ़ने लगा है क्योंकि, इससे पहले भी लापरवाही भरी ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
वर्जन
- मरीज को जिस तरह की बीमारी थी मैंने उस तरह का इलाज कर दिया। हमने इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती है।
डॉ. आरके शाक्य
बड़ौदा अस्पताल