कूनो में रिसर्च स्कॉलर्स कर रहे जीवों की गणना, दक्षिण अफ्रीका से चीता लाने की पूरी संभावना
- डब्ल्यूएलआइआइ के रिसर्च स्कॉलर्स 15 फरवरी से कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में कर रहे हैं वन्यजीवों की गणना, 31 मार्च तक चलेगा सर्वे कार्य।
- दल अपनी रिपोर्ट देहरादून में सम्मलित करेगा। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से चीता लाने के लिए कोर कमेटी की बैठक में देहरादून के अलावा केंद्र सरकार और राज्य सरकार के अधिकारी शामिल होंगे।
श्योपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
- दक्षिण अफ्रीका के नामिबिया से लाए जा रहे चीतों को भारत लाकर बसाने की तैयारियां जोरों पर हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी ने मप्र के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क को चीतों के लिए सबसे मुफीद माना है। सबकुछ ठीक रहा तो इस साल के अंत तक कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकी चीते दिखाई देंगे।
जानकारी के अनुशार भारतीय वन्य जीवन संस्थान देहरादून के डीन डॉ. वायवी झाला और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कमर कुरैशी के नेतृत्व में संस्थान के 10 स्कालर्स का दल पिछले माह 10 फरवरी को कूनो आया था। दो दिन रुकने के बाद डॉ. झाला और डॉ. कुरैशी तो वापस चले गए लेकिन, उनके साथ आई 10 रिसर्च स्कॉलर्स की टीम नेशनल के विभिन्ना हिस्सों में चीतों के रहवास और भोजन के इंतजाम देखने के लिए काम कर रही है। संभावना जताई जा रही है कि, इस 10 सदस्यी जूनियर वैज्ञानिकों के दल को भी कूनो हर तरह से पसंद आएगा। रिसर्च स्कॉलर्स पार्क में कैमरा से ट्रैकिंग कर हिरण, चौसिंगा, चीतल, ब्लैक बक, लंगूर, जंगली सुअर सहित अन्य जानवारों की गिनती कर रही है। यह गणना 31 मार्च तक चलेगी। फिर दल अपनी रिपोर्ट देहरादून में सम्मलित करेगा। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से चीता लाने के लिए कोर कमेटी की बैठक होगी जिसमें देहरादून के अलावा केंद्र सरकार और राज्य सरकार के अधिकारी शामिल होंगे। यहां बता दें, कि 2020 नवंबर महीने में सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की सब कमेटी के वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएलआइआइ) के विशेषज्ञ वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वायवी झाला की टीम ने कूनो पार्क का निरीक्षण किया था। टीम को कूनो चीतों के लिए मुफीद माना था। हालांकि टीम ने प्रबंधन को पार्क कुछ काम कराने के लिए कहा था। जिसके बाद कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों द्वारा वह कार्य भी करवा दिए हैं।
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चीतों के भोजन के लिए पशुओं की गणना में जुटा दल
- कूनो में इंतजाम देखने के लिए रुकी हुई 10 सदस्यीय टीम के जूनियर वैज्ञानिक नेशनल पार्क के विभिन्ना हिस्सों में कैमरों और ग्रामीणों के मदद से चीतों के भोजन में उपयोग आने वाले जानवरों मसलन, हिरण, चौसिंगा, चीतल, लंगूर, जंगली सुअर सहित अन्य जानवरों की गणना कर रहे हैं। इसके साथ ही घास के मैदान, जल स्रोत आदि की भी जानकारी जुटा रही है। इस टीम ने 15 फरवरी से अपना काम शुरू कर दिया है। यह टीम 31 मार्च तक अपना काम खत्म करके इसकी रिपोर्ट कोर कमेटी को सौंपेगी। बताया गया है कि, अप्रैल के प्रथम सप्ताह में होने वाली कोर कमेटी बैठक में इस रिपोर्ट के निष्कर्षों की चर्चा होगी। नेशनल पार्क के अधिकारियों के मुताबिक टीम को चीतों के लिए परिस्थितियां अनुकूल मिल रही हैं। डीएफओ वर्मा के मुताबिक रिसर्च स्कॉलर्स कूनो-पालपुर पार्क चीतों के रहवास और भोजन के लिए पूरी तरह से अनुकूल माहौल देख रहे हैं। चीतों का पसंदीदा भोजन चिंकारा और ब्लैक बक (काला हिरन) होता है। चीता को शिकार करने के लिए छोटे वन्यप्राणी और लंबे खुले मैदान वाला क्षेत्र चाहिए। उन्हें छिपने के लिए घास की जरूरत होती है। यह स्कॉलर्स आदि तथ्यों को भी चेक कर रहे हैं।
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1996 में कूनो सेंक्चुरी अस्तित्व में आई थी
- श्योपुर जिले में वर्ष 1996 में कूनो सेंचुरी अस्तित्व में आई। इसका एरिया पहले 344.686 वर्ग किलो मीटर था। सितंबर 2016 में मप्र सरकार के पास एक प्रस्ताव भेजा, जिसमें कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा दिए जाने की मांग की। कूनो का क्षेत्रफल 404.0758 वर्ग किलोमीटर और बढ़ा दिया गया है। यानी कूनो का क्षेत्रफल अब 748.7618 वर्ग किलोमीटर हो गया है।
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इस तरह कर रहे हैं वन्यजीवों की गणना
पार्क में रिसर्च स्कॉलर्स अगल-अलग एरिया में जाते हैं। जंगल में जगह-जगह पेड़ों पर 60 कैमरे लगाए हैं। 24 घंटों में एक बार इन कैमरों की रिकार्डिंग को चेक करते हैं। इसके अलावा फुटमार्क (पदचिन्ह) से भी गणना कर रहे हैं। पार्क में स्थित वाटर फॉल के पास ही डेरा डाले हुए हैं। वन्य जीव संबंधित जलाशय पर पानी पीने आएगा, उसकी पहचान करना है और उसकी गिनती कर रहे हैं।
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फैक्ट फाइल -
कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में वर्ग किमी में वन्यप्राणी की संख्या
वन्यप्राणी - वर्ग किमी
- चीतल - 52.87
- सांभर - 0.66
- नीलगाय - 1.77
- जंगली सुअर - 6.03
- चिंकारा - 0.19
- गाय - 32.91
- भैंस - 0.34
इनका कहना है
फरवरी महीने में भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के डीन डॉ. वायवी झाला और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कमर कुरैशी 10 रिसर्च स्कॉलर्स के साथ कूनो आए थे। डॉ. झाला 2 दिन रुककर यहां स्कॉलर्स को छोड़ गए थे। यह लोग पार्क में वन्यजीवों की गणना कर रहे हैं। 31 मार्च के बाद रिपोर्ट डीन को सौपेंगे। इसके बाद मप्र और केंद्र के अधिकारी बैठकर तय करेंगे कि नामिबिया से चीता कूनो में कब तक लाए जाएंगे।
पीके वर्मा, डीएफओ कूनो नेशनल पार्क।