श्योपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
महात्मा गांधी सेवा आश्रम द्वारा यूनीसेफ के सहयोग से संचालित कार्यक्रम द्वारा कराहल में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। इसमें जिला समन्वयक आकाश श्रीवास्तव ने बताया कि जीवन के एक हजार दिवस बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिसमें गर्भावस्था के 9 माह के 270 दिन एवं जन्म लेने से 2 वर्ष तक के 730 दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस समय बच्चे के 80 फीसद मस्तिष्क का विकास होता है। यह समय हमारे बच्चे के जीवन का सबसे सुनहरा पल होता है। इस समय शारीरिक, मानसिक विकास होता है, जिससे बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बच्चा स्वस्थ रहता है। यदि इस समय मौका चूक जाता है तो हमको भविष्य में आगे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान यह भी ध्यान रखना चाहिए, कि मां को अच्छा पोषणयुक्त भोजन मिल रहा है या नहीं। गर्भवती मां को किसी भी प्रकार का तनाव ना दिया जाए। हमेशा प्रोत्साहन एवं समर्थन देना चाहिए। इसके साथ ही प्रसव हमेशा संस्थागत ही करवाना चाहिए और हमेशा आयोडीन युक्त नमक ही देना चाहिए। माताएं आंगनवाड़ी से मिलने वाले टीएचआर एवं अन्य सेवाओं का उपयोग सही रूप से करें। फील्ड कोऑर्डिनेटर हर्षिता तिवारी ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को बताया गया कि बच्चे को बाल सुलभ आहार की शुरुआत समय पर करवाना चाहिए।कई बार देखने में आता है कि बच्चा 7 या 8 माह का हो जाता है, लेकिन ऊपरी आहार की शुरुआत नहीं हो पाती है। आप सभी इस बात का ध्यान रखें की बच्चे के 6 माह पूर्ण होने के तुरंत बाद ही आप उनको ऊपरी आहार की शुरुआत आवश्यक रूप से करवाएं, जिससे बच्चे का पूर्ण विकास हो सके।
फोटो नंबर 7- आंगनबाड़ी केंद्र पर जानकारी देते जिला समन्वयक
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