Cheetah in Madhya Pradesh: हरिओम गौड़, श्योपुर। मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाकर बसाए गए चीतों के कारण जंगल सुरक्षित हो गया है। शिकार नहीं हो रहा, ग्रामीणों से लूटपाट और मवेशी चोरी करने वाले भी जंगल में प्रवेश नहीं कर रहे हैं। लकड़ी माफिया, जड़ी-बूटी माफिया और अवैध तरीके से लाए जाने वाले मवेशियों के झुंड पार्क तो दूर उससे सटे जंगल में भी नहीं फटक रहे हैं। सुरक्षा प्रबंधों के अलावा चीतों का बाड़ा बनाने के कारण 100 से अधिक तेंदुए और 250 से ज्यादा लकड़बग्घों को उद्यान से लगे जंगल में खदेड़ दिया गया था। इनकी दहशत ने भी जंगल और जंगली क्षेत्र के गांवों को बदमाशों से सुरक्षित कर रखा है।
श्योपुर के विजयपुर क्षेत्र के पालपुर के जंगल में खैर, साखू, गुर्जन, केम और शीशम जैसी कीमती इमारती लकड़ियां पाई जाती हैं। वर्षों से माफिया इन्हें उजाड़ रहे थे, पर अब पुलिस-वन विभाग की सुरक्षा व तेंदुओं के डर से वे जंगल में पैर नहीं रख रहे। जड़ी-बूटियों के लिए जंगल की बेतरतीब खोदाई व कटाई करवाने वाले अपराधियों की उपस्थिति भी लगभग नहीं है। कराहल, आवदा और कुंहाजापुर के क्षेत्र में राजस्थान से ऊंटों के झुंड व मवेशी लाए जाते थे। वे वन संपदा को काफी नुकसान पहुंचाते थे। वे भी इस बार जंगल में नहीं दिख रहे। हर साल बारिश व सर्दी में सक्रिय होने वाले बदमाश इस बार न तो जंगल में शरण ले पाए और न ही जंगली क्षेत्र के 79 गांवों में वारदात कर पाए हैं।
शिकारियों की कुंडली तैयार, हर सप्ताह ली जाती है खबर
जंगल व कूनो उद्यान क्षेत्र से हिरण, नीलगाय, चिंकारा, खरगोश जैसे जानवरों का शिकार होता रहा है। अब शिकारियों पर अगरा, बरगवां व सेसईपुरा थानों की पुलिस ने नकेल कस दी है। करीब 55 शिकारियों की कुंडली तैयार की गई है। सप्ताह में एक बार पुलिस टीम इनके घर जाकर इनकी गतिविधियों की जानकारी जुटाती है। इस मानीटरिंग से अब तक दो दर्जन से ज्यादा संदिग्ध शिकारी जेल भेजे जा चुके हैं। अगरा, सेसईपुरा, बरगवां और कराहल थानों की टीम रोज रात नौ से दो बजे तक गश्त करती हैं। इसी में झांसी के चार शिकारी भी पकड़े गए।
ड्रोन, सीसीटीवी व सैटेलाइट की ली जा रही सहायता
राष्ट्रीय उद्यान के अलावा उसके बफर जोन व आसपास के जंगल की सुरक्षा में 200 वनपाल, वनरक्षक जैसे कर्मचारी और 25 से ज्यादा डिप्टी रेंजर, रेंजर व एसडीओ स्तर के अफसर तैनात हैं। वन विभाग ने 30 गनमैन (भूतपूर्व सैनिकों) को तैनात किया है। इस तरह 255 लोग निगरानी कर रहे हैं।
- 450 चीता मित्र हैं। ये 79 गांवों में 126 चीता मित्र सम्मेलन कर चीतों व जंगल का महत्व बता चुके हैं। इनसे कई अहम सूचनाएं मिल रही हैं।
- तीन ड्रोन कैमरे निगरानी कर रहे हैं। इनमें एक नाइट विजन थर्मल इमेजिंग वाला है। यह रात में जानवर व इंसान की पहचान कर लेता है।
- 30 से ज्यादा स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगातार तस्वीरें ले रहे हैं।
- 150 कर्मचारियों के मोबाइल में एम-स्ट्राइक एप है। हर कर्मचारी एक दिन में कम से कम पांच किमी भ्रमण करता है। इसका पूरा नक्शा सैटेलाइट से जुड़े एम-स्ट्राइक एप में बन जाता है। प्रतिदिन 750 वर्ग किमी का नक्शा रोज बनता है। कूनो राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 748.76 वर्ग किमी का है। एक डाग स्क्वाड भी गश्त करता है।
सुरक्षा के जो भी संभावित तरीके हैं, हम वे सभी लागू कर रहे हैं। चीते आने के बाद वन्य जीव का शिकार या अन्य कोई घटना नहीं हुई। लकड़ी या जड़ी-बूटी माफिया भी जंगल में दाखिल नहीं हो पा रहा। - पीके वर्मा, डीएफओ, कूनो राष्ट्रीय उद्यान
हमने हर शिकारी की पूरी जानकारी जुटाई है। कुछ पर कार्रवाई करके जेल भेजा। इस बार मवेशी चोरी, चरवाहे या मवेशी मालिकों के अपहरण या उनसे वसूली जैसी कोई घटना नहीं हुई है। - आलोक कुमार सिंह, एसपी, श्योपुर