-श्योपुर (नईदुयिया प्रतिनिधि)।
कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में नवंबर 2021 तक साउथ अफ्रीकी चीतों की दहाड़ सुनाई देनी थी, लेकिन अगस्त महीने में आई भीषण बाढ़ ने चीतों के रहने के लिए बनाए जाने वाले बाड़े (8 फीट लोहे की जाली युक्त) बनाने की रफ्तार धीमी कर दी। नवंबर में चीते लाने की फायनल डील करने जा रही टीम को ओमिक्रान ने रोक दिया। ऐसे में अब कूनो में अफ्रीकी चीतों की दहाड़ मार्च-अप्रैल महीने ही सुनाई देगी।
यहां बता दें, कि कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में चीतों के लिए नवंबर 2020 से तैयारियां चल रही हैं। पूर्व में जिस तरह चीतों के आने की तैयारियां चल रही थी, उसे देखकर लगा रहा था कि नवंबर 2021 तक कूनो में चीतों की दहाड़ सुनाई देने लगेगी। लेकिन अगस्त महीने में आई बाढ़ से कूनो नदी उफान पर आने से पार्क में कई जगह रास्ते टूटने के साथ ही नदी पर बना रपटा भी बह गया। प्रबंधन ने अपने स्तर पर रास्ता बनवाने के साथ ही अस्थाई रपटा भी बना लिया था। पार्क के अंदर पांच वर्ग किमी एरिया में 8 फीट ऊंचा बाड़ा बन गया है। ऊपरी हिस्से के बाद 2.9 एमएम वाई आकर की फेसिंग लगाने के साथ ही इसमें तीन स्तर की (3-3 और 2) कोर की सुरक्षा दी गई है। बाहरी जानवर प्रवेश नहीं कर सकें इसके लिए सोलर फैंसिंग सिस्टम एनक्लेजर के बाहरी छोर पर दिया है। सिस्टम की अहम बात है, कि जब भी कोई वन्यजीव या शिकारी इसे छुएगा तो उसे करंट का झटका लगेगा। इससे उसकी जान तो नहीं जाएगी, लेकिन वह सोलर फैसिंग के पास फिर से जाने से जरूर डरेगा। कूनो डीएफओ के मुताबिक यह काम 98 फीसद हो चुका है।
-मार्च-अप्रैल में सुनाई देगी चीते की दहाड़
कूनो डीएफओ पीके वर्मा के मुताबिक पार्क में चीते लाने की लगभग सभी तैयारियां अंतिम चरण में हैं। नवंबर में अफ्रीका जाने वाला दल अब संभवतथ फरवरी के पहले सप्ताह में रवाना होगा। जबकि आखिरी सप्ताह में दूसरा दल रवाना होगा। प्रबंधन के मुताबिक अब कूनो में अफ्रीकी चीते मार्च-अप्रैल 2022 तक आने की पूरी संभावना है।
-लेपर्ड और हायना की देख रहे गतिविधियां
कूनो पार्क में लेपर्ड और हायना भी बड़ी संख्या में हैं। भारतीय वन्य प्राणी संस्थान देहरादून के विशेषज्ञ पांच दिन पहले कूनो में आ गए हैं। टीम लेपर्ड और हायना में रेडियो कालर लगाकर शोध करेंगे कि लेपर्ड व हायना किस तरह पार्क में रह रहे हैं। उनकी गतिविधि, हाव-भाव से उनके रहन-सहन और शिकार करने का पता करेंगे। जिससे चीतों को लेपर्ड से कोई नुकसान नहीं हो, उस तरह की रणनीति तैयार करेंगे। डीएफओ का कहना है, कि अफ्रीकी चीते आने के बाद उनमें भी कालर आइडी लगाई जाएगी। जिससे यह पता चल सके कि चीते ने शिकार कर खाना खाया है या नहीं।
-चीतों के लिए शिकार के लिए माधव पार्क से आएंगे चीतल
कूनो डीएफओ वर्मा के मुताबिक अफ्रीकी चीतों के भोजन के लिए शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क से करीब 10 हजार चीतल को कूनो में लाया जाएगा। हालांकि यह चीतल एक साथ न लाते हुए जरूरत के मुताबिक 25 से 30 बार में लाए जाएंगे। इन्हें चीतों के बाड़े में दो-चार की संख्या में छोड़ा जाएगा। जिससे चीते भूख लगने पर चीतल का शिकार कर उसे खा सकें। हालांकि कूनो में करीब 28 हजार से अधिक चीतल पहले से ही हैं, लेकिन जब चीते यहां के वातावरण में रहने के अभ्यस्त हो जाएंगे तो 6 चीतों को जंगल में छोड़ा जाएगा। जिससे वह कूनो में पहले से मौजूद चीतल, सांभर आदि का शिकार कर सकेंगे। नर-मादा चीतों को ब्रीडिंग के लिए बाड़े में ही रखा जाएगा।
-748.7618 वर्ग किलोमीटर में फैला है कूनो पार्क
वर्ष 1996 में कूनो सेंचुरी अस्तित्व में आई। इसका एरिया पहले 344.686 वर्ग किलो मीटर था। सितंबर 2016 में मप्र सरकार के पास एक प्रस्ताव भेजा। इसमें कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा दिए जाने की मांग की। इसके बाद कूनो का क्षेत्रफल 404.0758 वर्ग किलोमीटर और बढ़ा दिया गया है। यानी कूनो का क्षेत्रफल अब 748.7618 वर्ग किलोमीटर हो गया था।
-कूनो में अफ्रीकी चीते लाने में पहले बाढ़ और फिर ओमिक्रान वैरिएंट बाधक बना है, लेकिन 2022 में मार्च-अप्रैल में चीते आने की पूरी तैयारी कर रहे हैं। एक महीने में वाच टावर, सीसीटीवी कैमरे सहित अन्य काम पूरी तरह से कर लेंगे।
-पीके वर्मा, डीएफओ, कूनो-पालपुर नेशनल पार्क श्योपुर