पांडवकालीन है नलखेड़ा में मां बगलामुखी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर
बगलामुखी माता मूलत: तंत्र की देवी हैं इसलिए यहां पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है।
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Publish Date: Sun, 14 Oct 2018 07:03:05 PM (IST)
Updated Date: Sun, 14 Oct 2018 11:28:39 PM (IST)

शाजापुर। मध्यप्रदेश के आगर-मालवा जिले के नलखेड़ा में मां बगलामुखी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। मां बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। उनमें से एक नलखेड़ा में है।
अन्य दो ऐतिहासिक मंदिर दतिया (मप्र) और कांगड़ा (हिमाचल) में है। नलखेड़ा आगर जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर इंदौर- कोटा रोड पर स्थित है। नजदीकी रेलवे स्टेशन उज्जैन से दूरी 95 किमी है।
आस्था : तीन मुख वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का यह मंदिर लखुंदर नदी के कि नारे है। पांडव कालीन यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहां देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत, तांत्रिक सहित देश-विदेश के कई श्रद्धालु पूजन के लिए आते हैं।
मंदिर में बगलामुखी के अतिरिक्त मां लक्ष्मी, सरस्वती, देवी चामुंडा, भगवान श्रीकृष्ण, श्री हनुमान, श्रीकाल भैरव एवं शिव परिवार भी विराजमान हैं। मान्यता है कि मंदिर की स्थापना महाभारत काल में कौरवों पर विजय पाने के लिए भगवान कृष्ण के निर्देश पर पांडवों ने की थी। यह बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है। बगलामुखी माता मूलत: तंत्र की देवी हैं इसलिए यहां पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार सिंहमुखी है। मंदिर परिसर में 36 फीट ऊंची दीपमालिका भी है। मंदिर परिसर में सोलह खंबों का सभा मंडप है।