साधकों के लिए विशेष महत्व का है राजराजेश्वरी मंदिर
प्रसिद्ध मां राजराजेश्वरी का मंदिर नगर के चंद्रभाग नदी तट पर स्थित है।
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Publish Date: Fri, 07 Oct 2016 06:27:53 PM (IST)
Updated Date: Sat, 08 Oct 2016 08:34:10 AM (IST)
शाजापुर। प्रसिद्ध मां राजराजेश्वरी का मंदिर नगर के चंद्रभागा नदी तट पर स्थित है। चंद्राकार स्थान में श्मशान होने से इसकी महत्वता और बढ़ गई है। खासकर तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूूर तक है। स्कंद पुराण में इसे शक्तिपीठ बताया गया है। मान्यता है कि शक्तिपीठ के दर्शन मात्र से ही लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
नगर में स्थित मां राजराजेश्वरी मंदिर देश के प्रमुख देवी मंदिरों में से एक है। नवरात्रि प्रारंभ होते ही यहां अनेक तांत्रिक आकर साधना में जुट जाते हैं। नदी के दूसरेे किनारे श्मशान है। इसलिए यह स्थान तंत्र क्रियाएं सिद्ध करने वालों के लिए विशेष माना जाता है। देशभरसे यहां तांत्रिक आते हैं। मंदिर के विस्तार के दौरान की गई खुदाई में माता का चरण, चिमटा व त्रिशूल मिलने से लोगों की आस्था और बढ़ गई थी।
स्कंद पुराण में मां राजराजेश्वरी मंदिर को शक्तिपीठ बताया गया है। इसके दर्शन मात्र से ही लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। विश्व के 51 स्थानों परशक्तिपीठ मंदिर स्थापित हैं। ऐसी मान्यता है कि हवन की आग में झुलसी मां पार्वती को लेकर घूमते समय उनके एक-एक अंग गिरते रहे। इसी दौरान शाजापुर में मां का दाहिना पांव गिरा था। जो आज भी मंदिरके गर्भगृह में है।
46 साल से जल रही अखंड ज्योत
शक्ति पीठ मां राजराजेश्वरी मंदिर में पिछले 46 साल से अखंड ज्योत जल रही है। पुजारी पं. सुनील नागर ने बताया कि स्थापित मां की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। पूर्व में यहां आरती के समय शेर भी आकर मां के दरबार में हाजरी लगाता था। जिसके कारण हवनकुंड के स्थान पर शेर की प्रतिमा स्थापित की गई है।