Mahakal Temple: मोहित व्यास, शाजापुर (नईदुनिया)। भगवान महाकाल की नगरी उज्जयनि से लगभग 77 किमी दूर बसे कस्बे सुंदरसी का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। यहां महाकाल मंदिर की प्रतिकृति मौजूद है। इस मंदिर का निर्माण सम्राट विक्रमादित्य ने बहन सुंदरा के लिए करवाया था। सुंदरा उज्जैन में महाकाल, गोपाल मंंदिर आदि के दर्शन के बाद ही भोजन करती थी।
सुंदरा के विवाह के बाद भगवान के नियमित दर्शन के लिए विक्रमादित्य ने न सिर्फ महाकाल मंदिर बल्कि हरसिद्धि और गणेश मंदिर भी बनवाए थे। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर की तर्ज पर यहां भी नियमित भस्म आरती भी होती थी। वर्तमान में सिर्फ श्रावण माह में ही भस्म आरती होती है। मंदिर के पीछे कुंड भी बना है, जो महाकाल मंदिर में बने कुंड का रूप माना जाता है।
प्रशासन इस पूरे क्षेत्र के कायाकल्प की तैयारी में जुटा है। उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में नव्य-दिव्य श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद अब इस मंदिर की भी तस्वीर बदलने वाली है। इसे लेकर धर्मस्व विभाग को भी जल्द ही प्रस्ताव बनाकर भेजा जा रहा है। कलेक्टर दिनेश जैन ने बताया कि मंदिर का कायाकल्प करने के बाद उज्जैन में इसकी ब्रांडिंग की जाएगी। इससे उज्जैन आने वाले दर्शनार्थी इस मंदिर के दर्शन के लिए भी आएं और विश्व पटल पर इस मंदिर को पहचान मिलने के साथ जिले में धार्मिक पर्यटन बढ़े। जिला प्रशासन के प्रयासों को लेकर सुंदरसी के लोगों में भी उत्साह है।
मंदिर की यह खासियत और उल्लेख
करीब 45 साल पहले यह मंदिर उस समय चर्चा में आया जब संत परमानंद सरस्वती 1975-77 के बीच सुंदरगढ़ (अब सुंदरसी) आए थे। उन्होंने मंदिर के आसपास ग्रामीणों से खुदाई करवाई थी, तब पुरातत्व महत्व की सामग्री मिली थी। पुरातत्व विभाग की कई पुस्तकों में भी इस मंदिर का उल्लेख है। जानकारों के अनुसार 13वीं शताब्दी में इसका निर्माण हुआ। मंदिर के पास एक पेड़ के नीचे तीर्थंकर की मूर्तियां भी हैं। उज्जैन पुरातत्व विभाग के स्व. विष्णुदत्त श्रीधर वाकणकर यहां शोध करने करीब 25 वर्ष पहले पहुंचे थे। वे यहां से कई प्राचीन मूर्तियां भी ले गए थे।
ये बोले बुद्धिजीवी, पुरातत्वविद्
शाजापुर निवासी लोक संस्कृतिविद् डा. जगदीश भावसार बताते हैं कि सुंदरसी का मंदिर हूबहू उज्जैन महाकाल मंदिर की तरह है। इस मंदिर का उल्लेख कई लेखकों ने किया है। मंदिर में परमारकालीन कई प्रमाण भी हैं। मंदिर का विकास किया जाए तो निश्चित ही इसे नई पहचान मिलेगी। देशभर से दर्शनार्थी यहां आएंगे। मंदिर और उसके इतिहास पर शोधपरख कार्य करने वाली पत्रकार दिशा शर्मा ने बताया कि उन्होंने गांव के कई बुजुर्गों से मंदिर के बारे में जानकारी जुटाई। यह मंदिर ऐतिहासिक है। इसका विकास और विस्तार जरूर किया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण धरोहर है, इसे सहेजकर सुंदरसी का नाम देश-दुनिया तक पहुंचाया जा सकता है।