विष्णु भावसार, नईदुनिया सुसनेर, शाजापुर(Diwali 2024)। सनातन धर्म के पुराणों और ग्रंथों में महालक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है। दीपावली के समय श्रद्धालु माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। सुसनेर में एक ऐसा मंदिर है जहां मां लक्ष्मी स्वामी नारायण के साथ विराजमान हैं।
1603 ईस्वी से भी अधिक पुराना होलकर स्टेट का यह मंदिर धर्मस्व विभाग के अधीन है। 16 साल पहले पुरातत्व विभाग की टीम ने इस मंदिर का निरीक्षण किया था। विभाग ने दौरान इस बात की पुष्टी की थी कि यह एशिया का नेपाल के बाद ऐसा दूसरा मंदिर है, जहां लक्ष्मीनारायण भगवान की प्रतिमा पाषाण से बनी होकर बड़े चतुर्भुज रूप में लक्ष्मीजी के साथ विराजमान है। हूबहू प्रतिमा पाषणयुक्त चतुर्भुजाधारी नेपाल में मौजूद है।
सुसनेर के शुक्रवारिया बाजार में स्थित लक्ष्मी नारायण गणपति मंदिर 1603 ईस्वी से भी पूर्व का है, जो वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मंदिर परिसर में चंपा का वृक्ष लगा होने से यह मंदिर चंपा के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
मंदिर में एक बड़ी प्रतिमा भगवान नारायण व छोटी प्रतिमा मां लक्ष्मी की है, साथ ही मंदिर में अन्य देवी-देवता भी विराजमान हैं। प्रतिवर्ष दीपावली पर लोग यहां पूजन करने के लिए आते हैं। मां लक्ष्मी के साथ नारायण की भी पूजा इस मंदिर में की जाती है।
चारभुजाधारी प्रतिमा में ये है खास मंदिर के पुजारी पंडित दुर्गेश शर्मा ने बताया कि यह पाषाण से निर्मित चार भुजाधारी प्रतिमा है। इसमें नारायण भगवान के हाथों में शंख, चक्र, गदा और पदम है। यही वजह है कि यह प्रतिमा सालों से श्रद्धालुओं के आकर्षकण केंद्र बनी हुई है।
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पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व के चलते यहां तीन दिन के लिए भगवान का पंचामृत से अभिषेक चलेगा, जिसका शुभारंभ धनतेरस से किया जाएगा। जिसके पूर्व प्रात: काल इस मंदिर में भगवान लक्ष्मी-नारायण का पंचामृत से अभिषेक कर विशेष पूजन किया जाता है। इस अवसर पर लक्ष्मीजी और भगवान नारायण व अन्य प्रतिमाओं का विशेष शृंगार भी किया जाता है।