शहडोल,नईदुनिया प्रतिनिधि। कलेक्टर सभागार में शुक्रवार को आयोजित सम्मिलन में शहडोल नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद का चुनाव कड़ी सुरक्षा के बीच कराया गया।तय समय के अनुसार सुबह 10.30 बजे से प्रक्रिया शुरु हुई। दोपहर एक बजे के बाद अध्यक्ष का परिणाम घोषित किया गया। इसमें कांग्रेस के घनश्याम जायसवाल ने 21 पार्षदों का समर्थन प्राप्त करते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज किया।
लगभग बीस साल बाद शहडोल नगर पालिका में कांग्रेस अपना अध्यक्ष बनाने में सफल रही है।भाजपा में टिकट वितरण से लेकर अध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर नाराज विद्रोहियों को साधने में कांग्रेस सफल रही। 39 में 18 पार्षदों को जिताकर लाने वाली भाजपा को हराकर अपना अध्यक्ष बना लिया। भाजपा की तरफ से अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतरे प्रेमकुमार सोनी प्रकाश को 18 ही पार्षदों का समर्थन मिल। वे कांगेस के घनश्याम जासयवाल से तीन मतों से पराजित हो गए। उपाध्यक्ष पद अपनी ही पार्टी से संघर्ष करते हुए भाजपा के प्रवीण शर्माा ठोली 22 पार्षदों का समर्थन प्राप्त करते हुए एक बार फिर उपाध्यक्ष पद विजयी हुए। उपाध्य पद के लिए कांग्रेस प्रत्याशी कुंदन पांडेय को 17 पार्षदों का ही समर्थन मिला और हार का सामना करना पड़ा। इस से कांग्रेस के 12 पार्षद जीतकर आए थे लेकिन 09 निर्दलीय पार्षदों को आपने पक्ष में मिलाने के बाद अपनी संख्या बढ़ाते हुए कांग्रेस ने मजबूती के साथ चुनाव लड़ा और भाजपा के जिला स्तर से भोपाल तक के चुनावी रणनीतिकारों को बड़ा झटका दिया। पार्षदों के चुनाव परिणाम आने के बाद से जब भाजपा 18 पार्षदो कें साथ आगे रही तो तय माना जा रहा था कि दो निर्दलीय पार्षदों का समर्थन प्राप्त करने के बाद भाजपा अपना अध्यक्ष बना लेगी लेकिन सब उटल हो गया और जीत से काफी दूर कांगेस ने अपना अध्यक्ष बनाने में सफल रही। अध्यक्ष पद के प्रत्याशी चयन को लेकर पनपे अंसतोष के कारण के पार्टी के ही पार्षदों ने क्रास वोट कर दिया,जिससे परिणाम बदल गए।
कांग्रेस में एकजुटता के साथ उत्साह : अध्यक्ष का चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस में काफी उत्साह दिखा। कई खेमों बंटी कांग्रेस इस बार एक साथ नजर आए। कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुभाष गुप्ता के नेतृत्व में विजय जुलूस निकाला गया। इसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस जन शामिल हुए और जीते हुए प्रत्याशी का उत्साह बढ़ाया। घनश्याम जायसवाल ने इस बाद दो वार्डो से समर्थन प्राप्त किया है। एक वार्ड से वे खुद जीते और एक वार्ड से अपनी पत्नी को चुनाव जिताने में सफल रहे। अध्यक्ष पद के लिए जब इनका नाम कांगेस ने आगे लाया तो किसी पार्षद ने विरोध नहीं जताया। इससे एकजुटता बनी और निर्दलियों एवं भाजपा के पार्षदों का समर्थन मिल गया।यही एकजुटता अध्यक्ष पद तक ले गई।
गायब रहा जिला अध्यक्ष का खेमा : भाजपा के प्रवीण शर्मा ने उपाध्यक्ष बनकर एक बार फिर साबित कर दिया कि जनसमर्थन के साथ उनके राजनितिक समीकरण का कोई तोड़ नहीं है। इनको टिकट न मिले इसके लिए भाजपा के दिग्गज लगे रहे। किसी तरह टिकट मिली तो इनको हराने के लिए वार्डो में भाजपा के लोग ही लग रहे। कोई पदाधिकारी इनके पक्ष में वोट मांगने नहीं गया,लेकिन ये रिकार्ड मतों से चुनाव जीते। उपाध्यक्ष की दावेदारी की तो यहां भी विरोध हुआ, लेकिन उन्होंने ऐसा समीकरण बनाया कि अपने मकसद में कामयाब हो गए। जीतने के बाद इनके विजय जुलूस में भी भाजपा के वह खेमा कायब रहा जो इनके विरोध में जुटा था। भाजपा जिलाध्यक्ष कमल प्रताप सिंह सहित उनके खेमें के लोग भी सामने नहीं दिखे।
बांधवगढ़ में हुई रायसुमारी रही फेल : चुनाव के एक दिन पहले चुनाव प्रभारी और भाजपा जिलाध्यक्ष सहित भाजपा पार्षदों की बांधवगढ़ राष्टीय उद्यान में रायसुमारी के लिए बैैठक हुई थी। उसमें अध्यक्ष प्रत्याशी को लेकर मतभेत हुआ था।इसके बाद भाजपा जिलाध्यक्ष ने जिताने का दावा करके अपने प्रसंद के पार्षद को प्रत्याशी बनाया और रायसुमारी फेल हो गई। वहां पार्टी चुनाव प्रभारी के दबाव में पार्षदों ने हां तो किया लेकिन वोट नहीं दिया। रातभर चली रायसुमारी में तो कई पार्षदों ने वहीं मना कर दिया था कि प्रेमकुमार सोनी को अध्यक्ष का प्रत्याशी बनाया जाएगा तो वे समर्थन नहीं करेंगे।निर्दलियों के दम पर अध्यक्ष बनाने के लिए के लिए प्रेमकुमार सोनी को मैदान में उतार दिया लेकिन सफलता नहीं मिली।
महिलाओं को नहीं मिला प्रतिनिधित्व ः इस बार शहडोल नगर पालिका में 39वार्डो में सर्वाधक 22 महिलाओं को जीतकर आई है,लेकिन प्रतिनिधित्व किसी को नहीं मिला है।कांग्रेस ने उपाध्यक्ष पद पर अपना प्रत्याशी उतारा लेकिन भाजपा ने प्रत्याशी भी नहीं उतारा है। अपने खास लोगों को उपकृत करने के लिए भाजपा के जिम्मेंदार लगे रहे । इसके चलते महिलाओं को प्रत्याशी नहीं बनाया।स्थिति यह बन गई कि अध्यक्षी भी नहीं मिली और महिलाओं को उपेक्षित भी कर दिया गया। टिकट वितरण एवं पार्षदों के चुनाव परिणाम आने के बाद आरती मनोज गुप्ता को उपाध्यक्ष बनाने का पार्टी के जिंमेदार लोगों ने दावा किया था।बाद में उनको भी दरकिनार कर दिया गया।कुल मिलाकर चुनावी रणनीतिकारों ने अपनों को लाभ दिलाने के चक्कर में पार्टी का नुकसान करा दिया।