सिवनी, नईदुनिया प्रतिनिधि। कर्नाटक से मिले पांच हाथियों का दल रविवार सुबह 4 बजे पेंच टाइगर रिजर्व के कुरई मोगली अभ्यारण पहुंच गया है।तीन दिनों में करीब डेढ़ हजार किलोमीटर की लंबी यात्रा कर सड़क मार्ग से पहुंचे हाथियों को पार्क अधिकारियों ने अपनी अभिरक्षा में ले लिया है।करीब 13 साल बाद पेंच राष्ट्रीय उद्यान को वनराज (बाघ) की निगरानी करने व जंगल की सुरक्षा पुख्ता करने हाथियों की सौगात मिली हैं। इससे पार्क प्रबंधन उत्साहित है।कर्नाटक से आए सभी पांच हाथी नर है।
इनमें से एक हाथी का नाम जनरल करियप्पा है, तो दूसरे का नाम जनरल थिमैया है।दोनों हाथियों की उम्र 8-8 साल है।इसके अलावा तीन अन्य हाथियों में बाली (40 साल), लावा (21 साल), मारूति (20 साल) शामिल हैं।गौरतलब है कि कर्नाटक में जन्मे केएम (कोडांदेरा मदप्पा) करियप्पा भारत के पहले सेनाध्यक्ष थे, 15 जनवरी 1949 को उन्होंने थल सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी।इस दिन हर साल थल सेना (आर्मी डे) दिवस मनाया जाता है।वहीं जनरल एसके थिमैया 1957 से 1961 से भारत के सेनाध्यक्ष रहे।
रेस्क्यू करना होगा आसान- टाइगर रिजर्व में बाघ या तेंदुए कभी-कभी ऐसे स्थानों पर फंस जाते हैं जहां से वाहनों का निकलना मुश्किल होता है और पैदल जाना खतरनाक है। ऐसी जगह पर हाथियों की मदद से मेडिकल सुविधा व रेस्क्यू दल को पहुंचाया जाता है।यही कारण है कि टाइगर रिजर्व में हाथियों को तैनात किया गया है, ताकि रेस्क्यू सहित गश्ती का काम आसान हो सके।फिलहाल पेंच टाइगर रिजर्व में पांच हाथी मौजूद हैं।इसमें सबसे बुजुर्ग मादा हाथी सरस्वती का सेवा काल पूरा हो चुका है।दो नर हाथी जंग बहादुर व युवा गणेशा शामिल हैं। इसके अलावा दो मादा हाथी शोरेन व दामिनी की सेवाएं पार्क प्रबंधन को मिल रही हैं।नर हाथी जंग बहादुर बीते दो माह में मद में चल रहा है।पांच नये हाथियों के पेंच टाइगर रिजर्व में आने के बाद प्रबंधन को रेस्क्यू सहित जंगल गश्ती में काफी मदद मिलेगी।
लंबे समय से महसूस हो रही थी जरूरत- साल 2010 से मध्यप्रदेश के 6 टाइगर रिजर्व में हाथी लाने की योजना पर काम किया जा रहा है।जानकारी के मुताबिक, सभी टाइगर रिजर्व में 28 हाथी हैं।जबकि 50 की जरूरत है।ऐसे में हाथियों की कमी को दूर करने कई सालों से प्रयास किए जा रहे थे।पहले चरण में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में चार हाथी कर्नाटक से लाए जा चुके हैं।अब पेंच टाइगर रिजर्व में पांच हाथियों को लाया गया है।केरल व कर्नाटक में बड़ी संख्या में हाथी मौजूद है।यहां पर उत्पात मचाने वाले हाथियों को काम की ट्रेनिंग दी जाती है, उन्ही में से हाथी मध्यप्रदेश लाए जा रहे हैं।कर्नाटक से 22 दिसंबर को पांचों हाथियों को रवाना किया गया था।सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के वन अमले की देखरेख में रविवार सुबह करीब 4 बजे नागपुर के रास्ते पेंच टाइगर रिजर्व के पेंच मोगली अभ्यारण कुरई पहुंच गए हैं।
एशियाई हाथी का वजन 3 से 5 हजार किलो
जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक लाए गए हाथियों की कई विशेषताएं हैं।घने जंगल में वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए यह उपयुक्त रहते हैं।एशियाई हाथी रात में ज्यादा सक्रिय होते हैं।150 किलो सामग्री खा सकते हैं।इनके कान बड़े होते हैं। वयस्क हाथी का वजन 3 से 5 हजार किलो होता है।हाथी एक दिन में 200 लीटर तक पानी पी लेते हैं।इसलिए पानी की लिए दूर तक बार-बार नहीं जाते हैं।
इनका कहना है
कर्नाटक से पांच नर हाथियों को सड़क मार्ग से सुरक्षित पेंच टाइगर रिजर्व के कुरई मोगली अभ्यारण में रविवार सुबह करीब 4 बजे लाया गया है।इसमें जनरल करियप्पा और जनरल थिमैया नाम के दो हाथी भी शामिल है।वन अमला हाथियों की आवश्यक देखरेख में लगा हुआ है।
रजनीश सिंह, डिप्टी डायरेक्टर
पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी