Maihar News : मैहर (नईदुनिया प्रतिनिधि )। लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर शासन ने गत दिवस आदेश जारी कर मैहर बैंड गुरुकुल की स्थापना का निर्णय लिया है जिसके चलते अब सुप्रसिद्ध संगीतकार उस्ताद अलाउद्दीन खान का मैहर बैंड अब एक बार फिर दुनिया भर में गूंजेगा। देश - दुनिया को एक से बढ़ कर एक संगीतज्ञों की सौगात देने वाले बाबा का यह वाद्य वृन्द अब एक बार फिर अपना जलवा और अपनी मधुरता पूरी दुनिया मे फैलायेगा। स्थानीय लोगों का मानना है कि देर से ही सही लेकिन प्रदेश सरकार ने दुरुस्त फैसला लेते हुए उस्ताद अली अकबर खान जन्म शताब्दी वर्ष पर मैहर बैंड गुरुकुल की स्थापना का फैसला किया है। जिसे लेकर मैहर वासियों सहित सतना जिले के रहने वाले लोगों में उत्साह का संचार हो गया है ।
बाबा ने दुनिया को तार वाद्य के माध्यम से भारतीय संगीत की बेशुमार खूबियों से परिचित कराया था। भारतीय वाद्य यंत्रों के संयुक्त समायोजन से बनाये गए बाबा के मैहर घराने के वाद्य यंत्र और उसकी प्रस्तुति को मैहर बैंड और मैहर वाद्य वृन्द के नाम से देश ही नहीं विदेश तक रोशन किया था। लेकिन कालांतर में मैहर बैंड और उसके कलाकार हाशिये पर चले गए और इसकी सुमधुर प्रस्तुति सिर्फ सालाना आयोजित होने वाले उस्ताद अलाउद्दीन खान संगीत समारोह तक सिमट कर रह गईं थी।
मैहर बैंड की इस उपेक्षा को उस्ताद अलाउद्दीन और उनके कृतित्व- व्यक्तित्व की उपेक्षा से जोड़ कर देखा जाने लगा। नतीजतन यह स्थिति बाबा के अनुयायियों- शिष्यों और संगीत प्रेमियों में नाराजगी का सबब भी बनी हुई थी। समय समय पर लगातार बाबा की स्मृतियों को सहेजने और आगे बढ़ाने की मांग भी बुलंद होती रही। मैहर की जनता और मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी भी लगातार पत्र लिखकर सरकार से मांग करते रहे। अब बाबा के समर्थकों की नाराजगी और लोगों की मांग पर सरकार ने अमल किया है और मैहर बैंड गुरुकुल की स्थापना का निर्णय लिया है। सरकार के इस कदम से 100 साल पूर्व स्थापित संस्कृति की धरोहर और मैहर की आत्मा मैहर बैंड को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी । पद्म विभूषण बाबा उस्ताद अलाउद्दीन खां की कालजयी वाद्यवृंद रचना मैहर बैंड का प्रशिक्षण पुनः इस गुरूकुल के माध्यम से दिया जाएगा। संगीत साधना के लिए प्रशिक्षणार्थियों को प्रतिमाह 10 हजार रूपये की छात्रवृत्ति व गुरुजनों को 37 हजार 500 रुपये की सम्मान निधि प्रतिमाह प्रदान की जाएगी।संगीत से जुड़े लोगों का मानना है कि इससे नए कलाकारों को मदद मिलेगी।
एकेडमी और महाविद्यालय का हाल भी बेहाल
बता दें कि सरकार ने बाबा के नाम पर एकेडमी और महाविद्यालय भी चला रखा है लेकिन उनके भी हाल - बेहाल ही हैं। प्रदेश के संस्कृति विभाग के अधीन स्थापित बाबा अलाउद्दीन संगीत एकेडमी के दायरे को सीमित कर उसे राजधानी तक ही केन्द्रित कर दिया गया है। जानकारों की माने तो पिछले कुछ वर्षों के दौरान उसके बजट में भी भारी कटौती कर दी गई है। मैहर में बाबा के नाम से संचालित संगीत महाविद्यालय को भी पिछले दिनों क्षेत्रीय विधायक नारायण त्रिपाठी की पहल पर नया जीवन दिया गया है। बताया जाता है कि यदि विधायक पहल नहीं करते तो वह भी बंद होने की कगार में पहुच गया था।
प्रदेश सरकार ने बाबा के पुत्र और देश- दुनिया मे सरोद को नई पहचान देने वाले संगीतकार अली अकबर खान के शताब्दी वर्ष में कहीं कोई आयोजन नहीं किया गया ,जबकि उनका प्रदेश और मैहर से जन्म का नाता है। मैहर संगीत घराने के लिए राज्य सरकार द्वारा संस्कृति संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में निरंतर किए जा रहे प्रयासों के तहत प्रदेश की धरती पर मैहर बैंड गुरुकुल की स्थापना का निर्णय बड़ी पहल मानी जा रही है।