लीड- पेज 4 (अभी एक फोटो है...और भी व्यवस्था कर रहे हैं....)
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- आप लोगों ने आचार्यश्री के आने की घोषणा पहले से कर दी तो आचार्यश्री कभी नहीं आएंगे - मुनिश्री
सागर। नवदुनिया प्रतिनिधि
मुनिश्री योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में भाग्योदय तीर्थ परिसर में शनिवार से नगर के 5 जिनालय का पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव घट यात्रा और ध्वजारोहण के साथ शुरू होगा। पंचकल्याणक में सागर सहित प्रदेश के कई स्थानों से हजारों लोगों के शामिल होने की संभावना है, जिसके चलते यहां विशेष तैयारियां चल रही हैं।
मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया की घटयात्रा सुबह 7ः30 बजे गोपालगंज जैन मंदिर और सुबह 8ः30 बजे कटरा बाजार स्थित श्री पार्श्वनाथ जिनालय से घटयात्रा शुरू होगी। सुबह 9ः30 बजे मुनिसंघ के प्रवचन होंगे और 11ः20 पर ध्वजारोहण के साथ पंचकल्याणक की शुरुआत होगी। घटयात्रा में हाथी घोड़े और बग्गियों पर प्रमुख पात्र बैठेंगे। पंचकल्याणक के प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी विनय भैया बंडा है। ध्वजारोहण समाजसेवी रमेश जैन, महेश बिलहरा परिवार करेगा। भगवान के माता पिता राकेश पिडरुआ नमिता जैन, सौधर्म इंद्र आनंद जैन मोना जैन, कुबेर इन्द्र संदीप बैसाखिया, टीना और महायज्ञ नायक विकास सिंघई केसली स्नेहा सिंघई प्रमुख पात्र बने हैं।
205 प्रतिमाएं प्रतिष्ठित होंगी
पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव में लगभग 205 प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हो रही हैं, जिनमें गोपालगंज मंदिर, रामपुरा मंदिर, दीनदयाल नगर मकरोनिया मंदिर, काकागंज मंदिर और ग्रीन सिटी मंदिर के अलावा वर्णी कॉलोनी मंदिर की वेदी प्रतिष्ठा मुनिसुब्रत नाथ जिनालय और सुभाषनगर मंदिर के अलावा कई अन्य जिनालयों की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हो रही हैं। 40 टीनशेड के चौके लगाए गए हैं। बाहर से आने वालों को रुकने की व्यवस्था भाग्योदय परिसर और आसपास मकानों की गई है।
पंचकल्याणक में भगवान के माता-पिता की गोद भराई
भाग्योदय तीर्थ में होने वाले पंच कल्याणक में भगवान के माता पिता बन रहे पात्रों की गोद भराई अखिल भारत वर्षीय दिगम्वर जैन महिला परिषद् चंद प्रभु शाखा की अध्यक्ष मुक्ता जैन के निवास पर हुई। इस दौरान करीब 80 महिलाओं ने उनकी गोद भरी। वहीं समिति के महामंत्री अनिल जैन नैनधरा ने बताया कि घटयात्रा के साथ ही गोपालगंज में आर्यिका 105 गुणमति माताजी,अनन्तमती माताजी,भावनामति माता की ससंघ आगवानी होगी। यहां से सभी महापात्र बग्गी पर सवार होकर भाग्योदय पहुचेंगे।
तीन आर्यिका संघ भी देर शाम पहुंचे भाग्योदय
आर्यिका श्री अनंत मति माताजी और आर्यिका श्री गुणमति माताजी, आर्यिकाश्री भावनामति माताजी ससंघ की अगवानी भाग्योदय तीर्थ सागर में शाम को हुई। सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य ज्येष्ठ मुनिश्री योग सागर, मुनिश्री पवित्र सागर, मुनिश्री अभय सागर, मुनिश्री प्रयोग सागर, मुनिश्री प्रभात सागर, मुनिश्री संभव सागर, मुनिश्री पूज्य सागर, मुनिश्री विमल सागर, मुनिश्री अनंत सागर, मुनिश्री धर्म सागर, मुनिश्री शैल सागर, मुनिश्री अचल सागर, मुनिश्री अतुल सागर, मुनिश्री भाव सागर, मुनिश्री निस्सीम सागर, मुनिश्री निरीह सागर, मुनिश्री शाश्वत सागर जी महाराज आदि विराजमान है। इसके अलावा आर्यिका श्री ऋजुमाति माताजी ससंघ एवं आर्यिका श्री उपशांत मति माताजी भाग्योदय तीर्थ में विराजमान हो चुकी है।
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पार्ट- 2
आप लोगों ने आचार्यश्री के आने की घोषणा पहले से कर दी तो आचार्यश्री कभी नहीं आएंगे : मुनिश्री
सागर। नवदुनिया प्रतिनिधि
भाग्योदय तीर्थ परिसर में पंच कल्याणक महोत्सव के चलते शुक्रवार को हुई धर्मसभा में मुनिश्री पवित्र सागर महाराज ने कहा कि सागर के लोगों ने पंचकल्याणक के पहले वही संत, वही भूमि और छठवां पंच कल्याणक एक ही आचार्य के सानिध्य में होने की घोषणा पहले से कर दी है। आप लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि आचार्यश्री के आने की घोषणा पहले से कर दी तो आचार्यश्री कभी नहीं आएंगे।
उन्होंने कहा कि गुरुदेव का एक बार जो निर्देश हो वह हम स्वीकार कर लें तो गुरुदेव बहुत प्रसन्ना हो जाते हैं। मुनि श्री योग सागर जी योग अर्थात जोड़ने का काम करते हैं। आचार्यश्री तक पहुंचने का कोई मार्ग है तो आपको योग सागर जी महाराज से जुड़ना पड़ेगा। हमने अपने आप को गुरुदेव को समर्पित कर दिया अब गुरुदेव हमें जो दे, वह हमें स्वीकार होना चाहिए। मुनिश्री ने कहा हमें पहले इंसान बनने की आवश्यकता है इंसानियत व श्रावक होने के नाते हमें बगैर किसी शर्त के एक स्कूल के छोटे बच्चे की तरह आना चाहिए। उन्होंने कहा कि सागर का पानी खारा होता है यह सभी जानते हैं, लेकिन सागर का पानी श्रद्धा के रूप में सिर पर धारण कर लेने से वह नारियल के पानी के समान मीठा हो जाता है। आचार्यश्री विद्यासागर महाराज भगवान महावीर की प्रति कृति हैं।
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गुरु का हृदय पावन और पवित्र होता है : मुनिश्री योग सागर
भाग्योदय परिसर में शुक्रवार को धर्मसभा में मुनिश्री योगसागर महाराज ने कहा कि गुण से युक्त होते हैं, वे गुरु कहलाते हैं। गुरु का हृदय पावन पवित्र और करुणा से भरा होता है उनमें छल और कपट नहीं होता। मुनिश्री ने कहा परमाणु बम वैज्ञानिक आइंस्टीन ने बनाया था ताकि जमीन के अंदर खनिज पदार्थ निकालने में सहूलियत हो, लेकिन आज इसका उपयोग दूसरों की जान लेने में होने लगा है। यह दहशत का एक बड़ा कारण बन गया है। मुनिश्री ने कहा हमें अपने अंदर यह उद्देश्य लाना है कि हम भी भगवान के समान बन सके। यह शुभ घड़ी पंच कल्याणक की गुरुदेव की आशीर्वाद से प्राप्त हुई है जो गुण से युक्त होते हैं वह गुरु कहलाते हैं। मक्खन से भी ज्यादा करुणा संतो के ह्रदय में होती है। जो अपने पर करुणा करता है वही दूसरों पर भी करुणा कर सकता है। दुखों का कारण हमारा ज्ञान है। यह मत चाहो कि ज्ञान की बाढ़ आए बाढ़ का पानी पीने लायक भी नहीं होता। परमाणु की खोज शांतिपूर्ण कार्यों के लिए हुई थी, लेकिन ज्ञान की अधिकता ने इसे परमाणु बम में तब्दील कर दिया।
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फोटो 0712 एसए 5 सागर। पंच कल्याणक से पहले भगवान के माता पिता की गोद भराई की गई।