रीवा। नईदुनिया प्रतिनिधि
लकड़ी से बनी सामग्री की उपयोगिता का अपना इतिहास रहा है। घरेलू कामकाज से लेकर वैवाहिक कार्यक्रमों में लकड़ी से बनी सामग्री का उपयोग किया जाता है। लेकिन समय का फेरबदल है कि इसे बनाने वाले कारीगर इस व्यवसाय के प्रभावित होने से चिंतित हैं और इसके लिए प्लास्टिक के बर्तन को कारण बताया जा रहा है। घोड़ा चौराहे पर लकड़ी से बनी सामग्री की बिक्री करने वाले व्यापारियों का कहना है कि बाजार में प्लास्टिक की सामग्री आ जाने से उनका व्यवसाय न के बराबर रह गया है। यही हालात रहे तो लकड़ी से बनी सामग्री बनाने वाले बसोर परिवार के लोगों पर रोजगार का संकट आ जाएगा। वर्षों से उनका परिवार लकड़ी से बनी सामग्री बनाने का काम करने के साथ ही बाजार में बिक्री भी कर रहा है। लेकिन लकड़ी से बनी सामग्री की डिमांड धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है।
शुभ के तौर पर लेते हैं सामग्री
बांस की लकड़ी से बनाए जाने वाली टोकनी, सूपा व बड़ी सामग्री सहित अन्य सामान का धार्मिक रूप से भी महत्व है। व्यापारियों का कहना है कि लकड़ी से बनी सामग्री अब लोग शुभ के तौर पर महज ले रहे हैं। जबकि उपयोग के हिसाब से इस सामग्री की बजाय प्लास्टिक के बर्तन ज्यादा उपयोग करने लगे हैं। बताया जा रहा है कि वैवाहिक कार्यक्रम में लड़की के विदाई के समय बांस की लकड़ी से बना हुआ सूपा तो वहीं टोकरी में खाद्य सामग्री से लेकर अन्य सामान रखकर लकड़ी के ससुराल तक बांस के बने हुए लकड़ी से बनी सामग्री विदाई में जाते हैं। लेकिन समय के साथ अब लकड़ी से बनी सामग्री को महज शुभ के तौर पर लोग ले जाते हैं।
यहां होता रहा है उपयोग
बांस की लकड़ी से बने हुए बर्तन का उपयोग तीज-त्योहारों के समय सामग्री को सजाने में उपयोग किया जाता था। तो वहीं घरेलू कामकाज व अनाज आदि रखने में इस बर्तन का लोग उपयोग करते रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में भी खाद्य सामग्री से लेकर घरेलू सामान रखने सहित एक स्थान से दूसरे स्थान तक सामान ले जाने में लकड़ी से बनी सामग्री का उपयोग किया जाता रहा है। लेकिन बाजार बाद तेज हुआ और प्लास्टिक से बने हुए बर्तनों के साथ ही कागज के कार्टून आ जाने से लकड़ी से बनी सामग्री व्यवसाय पर व्यापक असर पड़ा है।
उम्मीद पर व्यापारी
वैवाहिक लग्न के समय लकड़ी से बनी सामग्री बनाने वाले कारीगर शहर के फुटपाथ में इसकी दुकान लगाकर बैठते हैं कि शुभ लग्न में उनके द्वारा बनाए गए लकड़ी से बनी सामग्री का व्यापार अभी होगा। बने हुए लकड़ी से बनी सामग्री में कारीगरी के साथ ही उसे और आकर्षक बनाने के लिए रंग-रोगन भी कर रहे हैं। व्यापारियों को उम्मीद है कि शुभ लग्न में उनके बनाए हुए बर्तन की अच्छी बिक्री होगी। लेकिन खरीददार अब उसे शुभ कार्य के हिसाब से ही महज ले रहे हैं।
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देखिए साहब, प्लास्टिक का सामान जब से आया है लकड़ी से बनाई सामग्री का व्यापार तो एकदम ही बेकार हो गया है। अब तो लोग शुभ कार्य के हिसाब से महज बर्तन की खरीदी करते हैं। वर्षों से हमारे समुदाय के लोग लकड़ी से बनी सामग्री बनाने का काम कर रहे हैं। जिसके चलते हम लोग भी लगे हुए हैं। लेकिन इस व्यापार में अब कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
-रामबाई बसोर, व्यापारी, नया तालाब निवासी